ख्याब क्या होगा
तन्हाइयों से ही जिसने बात की है जिंदगी भर मेरे आने का उनको एहसास क्या होगा वीरानियां ही जिनका आशियाना हो उन्हें महलों का ख्वाब…
तन्हाइयों से ही जिसने बात की है जिंदगी भर मेरे आने का उनको एहसास क्या होगा वीरानियां ही जिनका आशियाना हो उन्हें महलों का ख्वाब…
अपने देश में अपनी भाषा बदनसीब हो गई आगे आओ युवा देश के हिंदी गरीब हो गई मातृभाषा है राष्ट्रभाषा है फिर क्यों तुम शर्माते…
पापा के लिए तो परी हैं बेटियां हर दुख दर्द में संघ खड़ी है बेटियां फिर क्यों कहते हैं कि तू धन है पराया क्यों…
लॉक डाउन का हम पति घर में रहकर शत-प्रतिशत सम्मान कर रहे हैं बीवी से जो भी मिली है ड्यूटी लिस्ट उसी के मुताबिक सारे…
गीता का सार जिसने भी समझ लिया संसार में उसी ने औरों से कुछ अलग किया तेरा मेरा अपना पराया माया मोह से जो दूर…
ओस के मोतियों जड़ा एक हर बनाऊ मैं फलक के सितारों से तेरी मांग सजाऊंगा मैं । काली घटाओं से मांग लूं तेरी आंखों का…
स्वतंत्रता दिवस काव्य पाठ प्रतियोगिता:- कृतज्ञ देश है उन वीरों का जिसने लहू बहाया अपना देश की खातिर तन मन धन सब कुछ है लुटाया…
अध ढकें तन को छिपाए दुनिया के बाजार में गुमसुम सी बैठी एक नारी लोग आते हैं और रुक कर आगे बढ़ जाते हैं हो…
हिंदुस्तान की रक्षा करना कर्तव्य है हिंदुस्तानी का हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई है एक ही दरिया पानी का । जब-जब है हिंसा की कटार से…
बहुत प्यारा था वह जहान लोग जहां मिलजुल कर करते थे काम जब कोई बगल से गुजरता कहता जाता भैया राम राम। जहां लोग एक…
प्रियतम की बस एक झलक पर हर आशिक जी जाता है आंखों की मदहोशी में वह जाने क्या-क्या पी जाता है अधखिली कली जब गालों…
सारे जहां से प्यारा है आसमान से न्यारा है । गोदी में ममता का आंचल पैरों में नदियों की पायल । राम-कृष्ण के कर्मों का…
सडकें ठहर गई सी लगती हैं हर तरफ सन्नाटा ही सन्नाटा है बचकर निकलना अब चमन में फूलों के संग मिल गया कांटा है। कोरोना…
सितमगारों की बस्ती में सही मेरा भी नाम हो जाए मेरी नींदें छीन कर चैन से सोने वाली आज के बाद तेरी नींद भी हराम…
इन सुर्ख अधरों को मेरे गालों तक मत लाना चाहत और बढ़ जाएगी प्यार की अपनी जुल्फों को अब और मत लहराना रात लंबी हो…
मेरी यादों के लम्हे चुन-चुन कर सृजन मत करो जिंदा लाश हूं मैं मेरे अर्थहीन शरीर से लगन मत करो बेनूर हो जाएंगी यह निगाहें…
तुम्हारी जुल्फों की कैद मिले तो हर गुनाह कर जाऊं । कत्ल करूं कातिल बनूं फिर तेरे पहलू में आऊं। वीरेंद्र
अबला थी जो नारी अब तक सबला बनके दिखलाएगी पुरुष के हाथों की कठपुतली अब दुनिया को चलाएगी । घुट घुट के यह मरती रही…
मीठे मीठे सपने संजोने दो होता है जो उसे होने दो कल का पता नहीं क्या होगा बाहों में और थोड़ा सोने दो ।……….. जागी…
ढूंढता है तू जिसको सागर की गहराइयों में वह तो छिपा है खुद तुम्हारी ही परछाइयों में । क्यों दर-दर की ठोकरें खाता है उसे…
सितम गैरों की बस्ती में सही मेरा भी नाम हो जाए मेरी नींदें छीन कर चैन से सोने वाली आज की रात तेरी नींद भी…
कल फिर महफिलें सजेगी हम भीड़ के हिस्से होंगे । खुद को कैद कर लो आशियाने में वरना हम ना होंगे सिर्फ हमारे किस्से से…
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