मॉ बोली लाठी से मारुँगी ।??

May 9, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

आज मेरे पास सावन की मातृ दिवस की लिंक आई ।
फिर क्या इसे देखकर मुझे भी सनक आई ।
फिर मैने भी कलम उठाई ।
और पुरी महेनत से एक कविता बनाई ।
फिर मैने मेरी कविता सबसे पहले मॉ को सुनाई ।
मॉ हल्का सा मुस्काई ।
और बोली बेटे तेरी ये कविता तो समझ ना आई।
पर तेरी ऑखो मे मेरे लिये इज्ज्त देखकर ऑखे भर आई ।
मॉ को रोता देख मेरी ऑखे भी भर आई ।
इतना देख मॉ रोना छोड अचानक गुस्से मे आई ।
और उसने अपने पास पडी लाठी उठाई।
और दोनो हाथो से मेरी ओर घुमाई।
और बोली अगर आज के बाद तेरी ऑखो मे ऑसु दिये दिखाई ।
तो इसी लाठी से लगाऊगी पिटाई ।
इतना कहकर मॉ मुस्काई ।
फिर क्या मॉ बेटे ने मिलकर रोटी खाई ।
रोटी खाने के बाद मुझे बहुत गुस्सा आई ।
कि मैने मॉ के ऊपर एक कविता तक ना बना पाई।
तभी मॉ मेरे पास आई ।
और मुझे एक बात समझायी।
कि तु क्या बडे बडे कवियो ने तक मॉ के ऊपर कविता ना लिख पाई ।
तु तो फिर भी उस रहा पर है एक नन्हा सिपाही ।
बस मॉ ने इतनी सी बात मॉ ने बताई ।
तब बात समझ मे मुझे आई ।
सच कहता हुँ यारो कि भगवान ने मॉ क्या शक्सीयत बनाई ।
फिर मैने एक बार फिर कलम उठाई ।
फिर मैने इस कहानी से कविता बनाई ।
अगर आप को ये कविता पसन्द आई ।
तो vote करे और करे reply .

हम जो है। UP से है भाई।
जो भी करते है हट के करते है भाई।
सब ने शब्दो से कविता बनाई।
और इसलिऐ तो हम ने कहानी से कविता बनाई ।
माफ कर दो यारो हम ने लिखने के बाद कविता नही थी दोह्राई
कुछ गलती थी पहले इसलिऐ एक ही दुबारा लिखने की नौबत आई ।
इसलिये माफ करदो भाई ।

My first poem

March 17, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

आज सुबह मुझे एक बात याद आई,
कि मेरी परीक्षा की तिथि पास आई।
इसी बात पे मैने श्याम जी से गुहार लगाई,
तभी मुझे एक आवाज देने लगी सुनाई।
फिर क्या मैंने उन्हें अपनी बात बताई,
और कहा अगर तुने श्याम मेरी बिगडी बनाई।
तो मैं तुम को खिलाऊंगा एक डिब्बा मिठाई,
फिर हँसी कि आवाज मेरे कानो मे आई।
मैंने पुछा ऐसी कौन सी बात पर आप को इतनी हँसी आई,
तभी मुझे आवाज आई, जिसनें यह पुरी सृष्टि बनाई।
तु उस को खिलाएगा मिठाई, तब मेरे बात समझ में आई।
फिर मैंने उनसे एक बात का माँगा Reply,
बो बोले अगर तुम ने आज तक किसी की भी ना की भलाई।
तो तुम ने बेकार की इतनी है पढाई,
फिर कहीं जाकर मुझे यह बात समझ में आई।
तभी मेरे मन मैं एक संका आई,
फिर एक बार फिर उन ने मुझे बात समझायी।
कि अगर तुम ने इस जीवन मैं किसी की है भलाई,
तो समझ लो कि ये परीक्षा क्या जीवन की परीक्षा मे मेरी नही उन लोगों की दुआ तुम्हारे काम आई।
फिर क्या मैंने श्याम का नाम लेकर की पढाई,
आखिरकार मेरी महेनत रंग लाई,।
सच मे उन लोगों की दुआ मेरे काम आई,
और यह कविता लिख कर मेरी आखें भर आईं।
आज मैने अपनी पहली कविता बनाई,
अगर आप को समझ में आई।
तो आप comment मे जरुर करें reply।।।

Aman saxena
BSc 1 year
Farrukhabad

मुस्कुरा कर …..

March 15, 2018 in शेर-ओ-शायरी

‘मुस्कुरा कर जो देखो तो सारा जहाँ हसीं दिख जाता है..’

वरना..

‘भीगी आँखों से तो आईने में अपना चेहरा भी धुंधला नज़र आता है..’

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