Anu
रचना की समीक्षा
September 9, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता
रची जाती यहां, प्यारी-प्यारी रचनाऐं
मन के भावों को दर्शाती
सामाजिक मुद्दों पर जागरूक कराती
संस्कृति का दर्शन करवाती
मन को आनंदित कर जाती
रचनाओं उपरांत, समीक्षा पढ़ने की बारी आती
जिसमे समीक्षकों की भिन्न सोच दिखाई देती
तो रचनाओं की गहराई जान पाती
जो आनंद को दोगुना कर देती
मैं भाव-विभोर हो जाती।
बचपन
September 8, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता
पल पल सोचूं
कहाँ से ढूँढूं
खुशियों की चाबी
वो बचपन वाली
मिल जाए तो
फिर से जी लूँ ।
माया नगरी
September 6, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता
यह माया नगरी
बड़ा परदा
लुभाती चकाचौंध
रंगीली दुनिया
ख्याली मंज़िल
एक हादसा
परत दर परत
खुलते राज
डरावने सच
नकली चेहरे
अंधी दौड़
सर्वोपरि माया
धज्जियां उड़ाते रिश्ते
बिछा माया जाल
दिखा सपने
देती चंद सितारे
लील लेती आंखों के तारे।
तुम्हारी व्यथा
September 3, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता
कितनी व्यथा है तुम्हारी जो कम होने का नाम ही
नही लेती, आंख मेरी नम कर जाती
रोटी से शुरू हुई पलायन तक गई
पर मौत पर जा कर रुकी
तुम्हारी उदर-ज्वाला संग जंग
आंख मेरी नम कर जाती
हजारों मील पैदल चले,पांव मे छाले पड़े
पर गांव तक पहुँच ना पाऐ
तुम्हारी जड़ो को छूने की कसक
आंख मेरी नम कर जाती
हाथगाड़ी से गृहस्थी को ढ़ोते देखा
बैल की जगह जुटते देखा
रेल की पटरी पर मरते देखा
तुम्हारी मिट्टी में मिलने की कहानी
आंख मेरी नम कर जाती
नन्ही सी बच्ची की अंगुली थामे गर्भवती औरत
को मीलों चलते देखा, मासूमियत और मजबूरी
से भरे चेहरे को देखा
तुम्हारी जीवन और मृत्यु की संघर्ष यात्रा
आंख मेरी नम कर जाती
कितनी व्यथा है तुम्हारी जो कम होने का नाम ही
नहीं लेती, आंख मेरी नम कर जाती
कोरोना काल
September 1, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता
कभी कहते थे जरा धीरे चल
कभी कहते थे जरा सम्भल कर चल
जनाब अब मौका यह है कि
सब कहते है जरा चल तो सही
इतनी थमी भी तो ठीक नहीं
थोड़ा संतुलन बना कर चल
यह प्रकृति हमें सिखा रही
जिंदगी में समता का पाठ पढ़ा रही।
प्रवासी मजदूर
August 27, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता
क्या तुम कभी यह भूल पाओगे
क्या फिर कभी वापस आ पाओगे
शायद तुम्हे आना पड़े, मजबूरी में
मजबूरी बहुत कुछ करवाती है
यह ही इन्सान को भटकाती है
कैसे भूलोगे तुम, इस मीलों के सफर को
जब तुम आए पहली बार, मन में लिए तरंगें हजार
जीवन में कुछ पाने की चाह लिए छोड़ा परिवार
अब, फिर वक़्त ने ठोकर मारी
फिर छोड़ना पड़ा बसा बसाया घर बार
हर बार क्या यूँ ही उजड़ते रहोगे
तुम अपने किसके कहलाओगे
तुम्हे वापस ना आना पड़े इस बार
कोई मजबूरी ना आए तुम्हारे पास
कोशिश करना तुम भूल जायो उस पीड़ा को
भूल पाऐ तो दर्द कम होगा
दर्द के निशान रहेंगे बाकी
तुम यहां भी रहना, मेहनत करते रहना
यही तुम्हारा सब कुछ है
कोई माने ना माने जमाना रहेगा सदा कर्जदार तुम्हारा
तु ऐसे ही नहीं शिल्पकार कहलाता।
कोरोना
August 23, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता
महामारी का दौर यह कैसा आया ,
वक़्त ने सबको बेबस बनाया ,
कुदरत ने इस धरती को बहुत खूबसूरत बनाया ,
पर इन्सान इस नेमत को सम्भाल ना पाया ,
तो महामारी ने आकर इसका मोल बताया ,
कुदरत ने हर साधन अपार मात्रा मे बनाया ,
पर इन्सान के लालच का अंत ना हो पाया ,
तो बीमारियों की आड़ में सबको फंसाया ,
कुदरत बार-बार करती है इशारा ,
पर इन्सान अपनी ही धुन में चलता आया ,
तो आपदाओं के रूप में आकर समझाया ,
महामारी का दौर यह कैसा आया ,
इन्सान ने ही खुद को बेबस बनाया।
Suggestions are highly appreciated.
कोरोना
August 21, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता
इम्तिहां की हद हो गई
वक़्त भी बेवफ़ा बन आया
जिनके दम पर चलते थे
सबसे पहले उनसे विसराया
खुद कहा `दूर रहो मुझसे ʼ
प्रेम की भिन्न परिभाषा से परिचित करवाया
यह कोरोना काल कहलाया
यह कोरोना काल कहलाया।
जल
August 18, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता
जल तु इतना कोमल फिर कठोर क्यों
तुम जीवन-रक्षक फिर प्राण-हरता क्यों
तुम बहते सरल फिर तीव्र रूप क्यों
तुम मीठी-प्यास फिर नमकीन क्यों
यह गुस्से में नीला आसमान क्यों
जलमग्न धरती थर-थर कांपे क्यों
इन्सान खुद ही प्रकृति का विनाश कर पूछें क्यों
खुदगर्ज इन्सान अपने बिछाऐ जाल फंस अब रोए क्यों
प्रकृति को प्यार कर, सहेज ले, यह और नहीं कुछ चाहती
अवसर अभी बाकी है
तपता सूरज, चाँदनी रातें, महकती हवाएँ,
अभी गंगा में बहती जलधारा बाकी है।
शहीदों के नाम
August 16, 2020 in Other
यह इतना धैर्य तुम कहाँ से लाएं
तभी तो तुम शहीद् कहलाए
शस्त्र तुम्हारे हाथ में था
देश के मान के लिए अडे रहे
अपने बाहुबल से ही शत्रु मार गिराए
तभी तो तुम शहीद् कहलाए
घर तुम्हारा भी था
परिवार बैठा था आँखे बिछाऐ
तुमने देश वासी हीं रिश्तेदार बनाऐ
तभी तो तुम शहीद् कहलाए
सपने तुम्हारे भी थे
पूरा करने का इंतजार लिए
देश के लिए बलिवेदी पर चढाऐ
तभी तो तुम शहीद् कहलाए
यह इतना धैर्य तुम कहाँ से लाएं
तभी तो तुम शहीद् कहलाए।
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