by NOORA

शिक्षक हो आप

September 2, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

कोयले को हीरा बनाने वाले।
टूटे हुए तारे को चमकाने वाले।।
शिक्षक हो आप।
अंधेरे को रोशनी दिखाने वाले।।

कोरे कागज में रंग भरे।
रंगो को आकार दिए।।
आकारों से शब्द,शब्दों से धर्म बनाने वाले।
गुरु हो आप।
भगवान को भी शिष्य बनाने वाले।

सही, ग़लत में फ़र्क।
ज्ञानी,अज्ञानी,स्वर्ग और नर्क
शिक्षा की ताकत से परिचित कराने वाले।
जीवन को जीने का ढंग बताने वाले
आचार्य हो आप।
हमें शून्य से अनंत बनाने वाले।।

शिक्षक हो आप।
अज्ञानी से ज्ञानी बनाने वाले।

by NOORA

दिलों में जिन्दा रखना अपने हिंदुस्तान

August 6, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

चाहे हिन्दू हो या मुसलमान।
गीता पढ़ो,चाहें पढ़ो कुरान।
दिलों में जिंदा रखना अपने हिंदुस्तान।।

चाहे मन्दिरों में गाओ आरती।
या मस्ज़िद में गाओ अज़ान।।
दिलों में जिन्दा रखना अपने हिंदुस्तान।।

चाहे करो इबादत अल्लाह की।
चाहे पूजो तुम भगवान्।
बस बनाके रखना ख़ुद को इंसान।
दिलों में जिन्दा रखना अपने हिंदुस्तान।।

अल्लाह ईश्वर सब एक हैं।
धर्म के नाम पर लड़कर,ना करो उसको बदनाम।।
दिलों में जिन्दा रखना अपने हिंदुस्तान।।

by NOORA

गांव का मकान

July 26, 2020 in मुक्तक

गांव का मकान रोता तो होगा।
मेरे आने की आस में सोता ना होगा।।
ख़ुद को संभालने की कोशिश करता।
घुट घुट के खंडहर होता तो होगा।।
सिपाही बनकर पड़ा ताला भी।
अब जंग से जंग लड़ता तो होगा।।
बन्द दरवाज़े खिड़कियां सिसकती तो होगी।
पड़ोसियों से थोड़ी आस रखतीं तो होंगी।
कोई तो आए,उन्हें खड़काए फ़िर अंदर बुलाए।
बूढ़ा मकान, फ़िर से जवानी की आस रखता तो होगा।
वो बरामदे में लगा पीपल बुलाता तो होगा।
बचपन को अब भी अपनी डालो में झुलाता तो होगा।।
गांव का मकान बुलाता तो होगा।

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