Rajeev Vaidya
ख्वाहिश
July 18, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता
ख्वाहिशों का काफिला भी अजीब ही है ग़ालिब
अक्सर वहीँ से गुज़रता है जहाँ रास्ता नहीं होता
घर
July 18, 2019 in शेर-ओ-शायरी
अब घर भी नहीं घर की तमन्ना भी नहीं है
मुद्दत हुई सोचा था कि घर जाएँगे इक दिन