” मजदूर “

April 30, 2017 in हिन्दी-उर्दू कविता

अपनी सांसों में उर्जा भरकर

निर्माण जो करता नवयुग का

औंरों को सुख-सुविधा देकर

करे सामना हर दुख का

जो रूके अगर, रूक जाए दुनिया

सारे जग का रीढ़ वही

जोश, लगन, संकल्प है जिनमें

फुरसत में आराम नहीं

हिम्मत जिनकी शान है यारों

मेहनत जिनकी है पूजा

कर्तव्य निभाना लक्ष्य है जिनका

मजदूर है वो, कोई और न दूजा