by Reena

ओ कोरोना

March 24, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

ओ कोरोना
हो रहा है राष्ट्र लाँक,
और हो रहा राज्य लाँक।
नष्ट करेगे इस कोरोना को,
और करेगे इसको लाँक।।
बज गई थाली बज गई ताली,
बजी शंख और बज गई घंटी।
ओ कोरोना बाँध ले बिस्तर,
जल्द ही होगी तेरी छुट्टी।।
धैर्य रखेगे सर्तकता बरतेगे,
संयम से लेगे हम काम।
स्वच्छता को हथियार बनाकर,
आफवाहों पर ना देगे ध्यान।।
अपनी सूझ बूझ से हम,
इस वायरस का करेगे नाश।
सरकार प्रयास कर रही है,
हम भी है सरकार के साथ।।
हम भारतीय चलो खाए कसम,
चाहे करना पड़े कितना परिश्रम।
अपने भारत देश में एक पल भी,
कोरोना को लेने देगें ना दम।।
रीना कुमारी
तुपुदाना, राँची झारखंड

by Reena

किसान का दर्द

July 28, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

ऊपर वाले ने कहर बरसाया है
एक बूंद धरा पर न आया है
धरती पर देखो आई दरार
चारों ओर मचा हाहाकार
कर्ज तले दबे हैं कितने किसान
क्या करें सोचते हैं सुबह शाम
घर अपना कैसे चलाएंगे
क्या खाएंगे क्या बच्चों को खिलाएंगे
बीता सावन भादो बीता
वर्षा की आस में दिल टूटा
करवट में रात बिताते हैं
क्या करें समझ नहीं पाते हैं
कई दिन से चूल्हा ना जला देखा
बच्चों को रोता बिलखता देखा
जब परिवार को भूखा सोता देखा
तो फंदे को गले में लगा बैठा
ऐ खुदा बस इतनी है इल्तजा
यह कहर कभी ना बरसाना
तेरी फुलवारी के फूल है हम
गुलशन न कभी उजड़ने देना
रीना कुमारी
तुपुदाना, राँची झारखंड

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