वो रोती रही

December 4, 2016 in ग़ज़ल

वो रोती रही रात भर इसलिये
कि सरहद से आई खबर इसलिए।

बड़े नाज से उसने पाला जिसे
वो आया तिरंगे में घर इसलिए।

सुहागन लगी चूड़ियाँ तोडने
चलेगी अकेली डगर इसलिए।

कोई तो मिलेगा उसे रहनुमा
चली आस की राह पर इसलिए।

हुई हाल खस्ता बहुत जिंदगी
बदलते हैं रिश्ते सफर इसलिए।
…….. सतीश मैथिल “तनुज”

हाल ए दिल

September 25, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

हाल ए दिल अपना कभी हमसे सुनाया न गया
साथ मुश्किल तो न था तुमसे निभाया न गया।

आए महफिल में वो मिलते रहे अपने बनकर
जख्म एैसा मिला जो हमसे भुलाया न गया।

नाम तेरे की हिना जब रची हथेली पर
लाख कोशिश की मगर रंग छुड़ाया न गया।

ऐक राही हूँ मुक्कमल है सफर की मंजिल भी
अहदे जिंदगी से कभी मौत का साया न गया।

ख्वाब आंखो में तेरा नाम लबों पर था मेरे
मैं वो नग्मा ही रहा जो कभी गाया न गया।

हाथ थामो तो आसान हो जीवन का सफर
यूँ अकेले तो कभी चाँद को पाया न गया।

– सतीश मैथिल ‘तनुज ‘
अहमदाबाद गुजरात

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