शत्-शत् नमन करें

August 11, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

शत्-शत् नमन करें
उनको , जो राष्ट्र-हित में शहीद हुए।
जन-जन रो देता है सुन
वे वीर गति को प्राप्त हुए।
पुत्र खोने का दर्द भला माता से ज़्यादा कौन सहे!
धन्य है वो माँ जिसने ऐसे पुत्र जने!
संवल खोने का दर्द भला पिता से ज़्यादा कौन सहे !
धन्य है वो पिता जिसने राष्ट्र को ऐसे पुत्र दिए !
पति-विरह की पीड़ा को पत्नी से ज़्यादा कौन सहे!
दुश्मन से लड़ते पति जब वीर गति को प्राप्त हुए!
राखी के बंधन का वादा बहन से ज़्यादा कौन जाने!
दुश्मन के हमलों ने कितने भाई-बहन को जुदा किये!
पिता खोने का दर्द भला बच्चों से ज़्यादा कौन सहे!
आँखें भर जाती हैं दुःख से जिनके पिता शहीद हुए!
शत्-शत् नमन करें

उनको ,जो राष्ट्र-हित में शहीद हुए!!

स्वतंत्रता का नव विहान

August 11, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

स्वतंत्रता का नव विहान
गाओ मंगल गान!
लहराते ध्वज को देखो-
स्वाभिमान भरे मस्तक ऊँचे!
याद करो वीरों की कुर्बानी!
ज़ुल्म भरे व्यथा की कहानी।
चहुदिश अरुण रश्मि छायी-
धरती पर स्वर्ण-आभा आई !
बरस रहे सुधा रस राग रंग
जनता में खुशियों की पुरवाई!
गगन-धरा-अनिल-क्षितिज
प्रदिप्त हो रहे मंगल दीप!
त्याग-बलिदान की ज्योति जले
कभी न बुझ पाए ये अमर दीप !
बँटवारे का दर्द समेटे
आज भेद भाव सब छूटे।
जननी नव दुल्हन सी सजी !
हर रही क्लेश-विषाद सब।
अत्याचार का ह्वास हुआ-
जनतंत्र की जीत हुई!
विश्वमंडल की नयी आभा
भारतवर्ष बन गया आज !
महावीर-बुद्ध के संदेशों को

फैला रहे हम विश्व में आज!
शान्ति के अग्रदूत बन
बढ़ा रहे भारत की शान।
मेरा भारत महान !
गाओ मंगल गान-
मेरा भारत महान !!

-शीला तिवारी

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