by Shiva

अधीर बनो,अधीर बनो

January 16, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

अब क्यों धीर धरे हो
अधीर बनो, अधीर बनो
मां भारती के लाल
तुम हो सर्व शक्तिमान
विजय की पताका ले हाथ
दुश्मन की ग्रीवा का रक्त पीने वाली तुम
शमशीर बनो, शमशीर बनो
अब क्यों धीर धरे हो
अधीर बनो ,अधीर बनो
रक्त में है उबाल, मातृभूमि रही पुकार
गलतियों का करो अब हिसाब
पीओके के साथ सिंध पर भी धरो ध्यान
सुन कर अरिदल थर थर कांपे वो तुम
गीत बनो गीत बनो
अब क्यों धीर धरे हो
अधीर बनो अधीर बनो
शिवराज खटीक

by Shiva

अधीर बनो,अधीर बनो

January 16, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

अब क्यों धीर धरे हो
अधीर बनो, अधीर बनो
मां भारती के लाल
तुम हो सर्व शक्तिमान
विजय की पताका ले हाथ
दुश्मन की ग्रीवा का रक्त पीने वाली तुम
शमशीर बनो, शमशीर बनो
अब क्यों धीर धरे हो
अधीर बनो ,अधीर बनो
रक्त में है उबाल, मातृभूमि रही पुकार
गलतियों का करो अब हिसाब
पीओके के साथ सिंध पर भी धरो ध्यान
सुन कर अरिदल थर थर कांपे वो तुम
गीत बनो गीत बनो
अब क्यों धीर धरे हो
अधीर बनो अधीर बनो
शिवराज खटीक

by Shiva

इंसान और मै

January 7, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

इंसान और मै

मन्दिर , मस्जिद नहीं देखता हूं
उस में बेठा भगवान देखता हूं
हिन्दू, मुस्लिम नहीं देखताहू
इंसान में इंसान देखता हूं
हैरान हूं मै यह देखकर
लोग पूछते है
मेरा धर्म कोनसा है
कहता हूं मै तो हर धर्म में
महान हिन्दुस्तान देखता हूं

इंसान में इंसान देखता हू
इबादत हम रब की भी करते है
यह मेरा खुदा देखता है
ये दुनियां नबी ने चलाई है
या राम ने बनाई है
में तो हर मस्जिद में राम
हर मंदिर में रहीम देखता हूं

इंसान में इंसान देखता हूं
ईद को ईद मुबारक कह सकूं
इसलिए पहले चांद देखता हूं
मिलता रहे नूर सबको खुदा का
इसलिए दीपक अधिक जलाता हूं
होली पर शरीर पर लगा का रंग नहीं
रंगों से रंगीन हुआ ,मन देखता हूं
लिख सके ईद सबको मुबारक
हर त्यौहार की से सके बधाई
ऐसा मैं शिवराज कलम देखता हूं
इंसान में इंसान देखता हूं
शिवराज खटीक

by Shiva

Amazing childhood

January 7, 2020 in English Poetry

Amazing Childhood

My amazing childhood
Only play forget food
little anger, little kind
We play against wind
Do not thik for done
Done is done
We do everything
possible or Impossible
Playing with Kite cycle ring
Eat whatever available
Maa call me “Eye Star
And Bapu Call Moon Piece
No friends away far
Four Sweet shot in one rupee
My amazing childhood

shivraj khatik

by Shiva

बर्फ़ गिर रहा है

January 7, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

बर्फ़ गिर रहा है
सर्द चमन में निशा के तम में
कोई सड़क पर रो रहा है
बर्फ़ गिर रहा है
निल गगन में, बिना ओट के
कोई सड़क पर सो रहा है
बर्फ़ गिर रहा है
कोई दरिद्र, फटे कम्बल में
अपनी लाचारी, अपनी स्वाभिमानी में
अपने जीवन का भार ढो रहा है
बर्फ़ गिर रहा है
गरीब के फूल बिखरे है नग्न धारा पे
अपने फूलों को छिपा गुलदस्ते में
खुद महलों में चैन से सो रहा है
बर्फ़ गिर रहा है
जीवन यापन , ओस की बूंदों में
इन ओस की बूंदों को और चाट रहा है
ग़रीब का बच्चा प्यास से रो रहा है
बर्फ़ गिर रहा है
शिवराज खटीक

by Shiva

बर्फ़ गिर रहा है

January 7, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

बन बंजारा बन -बन भटकत है
मन मेरे तु कहा अटकत है
तुझे ढूढन को में मन्दिर-मन्दिर फिरत
तू मेरे मन मन्दिर में बसत है
हर एक गोपी को पूंछा करता
दिल को अपने, अंगारों से सींचा करता
यमुना तट,कदंब की डारी
गोपियां भी सारी की सारी
है प्रभु तुम्हे पूंछा करत है
बन बंजारा बन – बन भटकत है
मन मेरे तु कहा अटकत है
अब उधव जो आए पूछूंगा
ना कोई जोग सन्देश सुनूंगा
कहा मेरे श्याम सुंदर छिपत है
क्या उनके पास हमारे लिए बखत है
क्या उनको सबसे प्यारा तखत है
बन बंजारा बन -बन भटकत है
मन मेरे तु कहा अटकत है
घनघोर घटा काली रात है
है प्रभु सुनो कहत शिवराज है
घूमकर देख लिया बृज आज है
ना वैसी शांति ना वैसा रास है
ना वैसी ममता ना वैसा दुलार है
ना वैसा भाईचारा ना वैसा प्यार है
अब देर ना करो मेरे सांवरे
जल्दी आकर सुध लो सांवरे
भक्त तुम्हारे भटकत है
बन बंजारा बन -बन भटकत है
मन मेरे तु कहा अटकत है

शिवराज खटीक

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