शशांक तिवारी
सुन लो मेरी आह पिया जी
May 4, 2016 in Other, हिन्दी-उर्दू कविता
सुन लो मेरी आह पिया जी ,
एकला मुश्किल राह पिया जी ….
राम हृदय दुर्लभ जग में हैं ,
परख के बोलो शाह पिया जी ….
सिरफ़ रात तक चाँद तुम्हारा ,
करता मैं आगाह पिया जी ….
चादर तक ही पैर ये रखना ,
इच्छा की क्या थाह पिया जी ….
धोखा धंधा पैसा फंदा ,
कर दो सबका दाह पिया जी ….
सावन भादो औ बसन्त हो ,
तुम बिन कैसा माह पिया जी ….
जनम जनम के साथी हो लो ,
मुझको और क्या चाह पिया जी ….
– शशांक तिवारी