देशभक्तों नमन

September 29, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

जाँ पे खेला बचाया है तुमने वतन
ज़ुल्म सहते रहे गोली खाते रहे
बीच लाशों के तुम मुस्कुराते रहे
कतरे-कतरे से तुमने ये सींचा चमन
आज करता हूँ मैं देशभक्तों नमन

साँप बनकर जो आए थे डसने हमें
कुचला पैरों से तुमने मिटाया उन्हें
कर दिया पल में ही दुश्मनों का दमन
आज करता हूँ मैं देशभक्तों नमन

सर झुकाया नहीं सर कटाते रहे
देख बलिदान दुश्मन भी जाते रहे
माँ ने बाँधा था सर पे तुम्हारे कफ़न
आज करता हूँ मैं देशभक्तों नमन

– Udit Jindal

Dhool ki fitrat

September 22, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

Dhool ki fitrat phir bdlegi…
Kuch dino baad phir yei muhh par milegi

Dhool ko kam na samjho koi
Yei agr dabb skti hei, toh sar pad bhi skti h

– Udit Jindal

काली घटा

September 19, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

काली घटा छाई है
लेकर साथ अपने यह
ढेर सारी खुशियां लायी है
ठंडी ठंडी सी हव यह
बहती कहती चली आ रही है
काली घटा छाई है
कोई आज बरसों बाद खुश हुआ
तो कोई आज खुसी से पकवान बना रहा
बच्चों की टोली यह
कभी छत तो कभी गलियों में
किलकारियां सीटी लगा रहे
काली घटा छाई है
जो गिरी धरती पर पहली बूँद
देख ईसको किसान मुस्कराया
संग जग भी झूम रहा
जब चली हवाएँ और तेज
आंधी का यह रूप ले रही
लगता ऐसा कोई क्रांति अब सुरु हो रही
.
छुपा जो झूट अमीरों का
कहीं गली में गढ़ा तो कहीं
बड़ी बड़ी ईमारत यूँ ड़ह रही
अंकुर जो भूमि में सोये हुए थे
महसूस इस वातावरण को
वो भी अब फूटने लगे
देख बगीचे का माली यह
खुसी से झूम रहा
और कहता काली घटा छाई है
साथ अपने यह ढेर सारी खुशियां लायी है |

Udit Jindal

खुद को ही खुद से

September 15, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

कभी-कभी ये सोचकर रो देती हूँ कि

ऐसा क्या हासिल था मुझे,

जो मैंने खुद को ही खुद से खो दिया !!

– Udit Jindal

चल मिटा ले फासले

September 10, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

कुछ गलतफहमियाँ है, तेरे मेरे दरमियाँ,
चल मिटा लें फासले, कुछ गुफ़्तगू कर लें,

रूठी रहोगी, आखिर कब तलक,
मै इधर तड़पता हूँ, और तु उधर,
मेरी मौजूदगी को यूँ, नजरअंदाज ना कर,
चिर जाती है सीना, देख तेरी गैरो सी नजर,
चल मिटा ले फासले, कुछ गुफ़्तगू कर ले,

तेरी खामोसियाँ, खंचर सी है चुभने लगी,
दूरियाँ हर एक चुप्पी पर तेरे, बढ़ने लगी,
एक आवाज देकर, रोक ले मुझे,
ऐसा ना हो कि दूर हो जाऊँ, पहुँच से तेरे,
चल मिटा ले फासले, कुछ गुफ़्तगू कर ले,

एक पल के गुस्से में, भूल गई वो वादा,
हर हालात में, साथ निभाने का वो इरादा,
कुछ कमियाँ मुझमे है,ये मै जानता हूँ,
छोड़ो गुस्सा हुई मुझसे ही गलती,ये मै मानता हूँ,
चल मिटा ले फासले, कुछ गुफ़्तगू कर ले |

– Udit Jindal

चंद लकीरों में बसी बचपन की सारी यादें

August 26, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

वो स्कूल का यूनिफार्म,
वो काले, और सफ़ेद पीटी के जूते,
वो टाईमटेबल के हिसाब से किताबें रखना,
वो माँ के हाथों से बनी टिफ़िन,
वो पापा से डायरी का छुपाना,
वो दोस्तों की शरारतें,
वो टीचर का डांटना,
वो बेपरवाह भागना, दौड़ना,
वो सब भूल तो नहीं गए?
वो सब याद है कि नहीं?

– Udit Jindal

दोस्ती एक प्यार और भरोसे का रिश्ता

August 4, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

सुख-दुख के अफसाने का,
ये राज है सदा मुस्कुराने का,
ये पल दो पल की रिश्तेदारी नहीं,
ये तो फ़र्ज है उम्र भर निभाने का,
जिन्दगी में आकर कभी ना वापस जाने का,
ना जानें क्यों एक अजीब सी डोर में बन्ध जाने का,
इसमें होती नहीं हैं शर्तें,
ये तो नाम है खुद एक शर्त में बन्ध जाने का,

ये तो फ़र्ज है उम्र भर निभाने का
दोस्ती दर्द नहीं रोने रुलाने का,
ये तो अरमान है एक खुशी के आशियाने का,
इसे काँटा ना समझना कोई,
ये तो फूल है जिन्दगी की राहों को महकाने का,
ये तो फ़र्ज है उम्र भर निभाने का,
दोस्ती नाम है दोस्तों में खुशियाँ बिखेर जाने का,

आँखों के आँसूओं को नूर में बदल जाने का,
ये तो अपनी ही तकदीर में लिखी होती है,
धीरे-धीरे खुद अफसाना बन जाती है जमाने का,

ये तो फ़र्ज है उम्र भर निभाने का,
दोस्ती नाम है कुछ खोकर भी सब कुछ पाने का,
खुद रोकर भी अपने दोस्त को हँसाने का,
इसमें प्यार भी है और तकरार भी,

दोस्ती तो नाम है उस तकरार में भी अपने यार को मनाने का,
ये तो फ़र्ज है उम्र भर निभाने का

– Udit Jindal

Na thi kisi ki himmat

July 23, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

Na thi kisi ki himmat koi aankh na dikhata tha,
Ab kaha chali gyi hain humari androoni shakti,

Gila sikhwa dur kar prem ka ban chalana hoga,
Yahi pegaam hume pahuchana hoga basto basti,

Hume humare desh ko wahi esthan dilana hoga,
Humare mein hi hain humare desh ki shakti,

Hum mein hi hain humare rashtra ki shakti,
Humari desh bhakti hi hain humari shakti..

Saawan ki fuhaar

July 16, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

Satrangi barasta saawan
Rimjim fuharo sa saawan
Suraj ki kirano ke sang me
Cham cham chamke ye saawan
Kit patango ki masti me
Jam jam jumhe ke barase saawan
More papiho ke swar me
Naya rang le le aaya saawan
Hawa sang lahrahe saawan
Baadal me chup jaye saawan
Man ko lalchaye saawan
Tap tap tap bundo se
Nav sangeet le aaye saawan
Kabhi sharmaye kabhi barsaaye saawan
Pyar ke ehsaas me
Naye phul khilaye saawan
Bhige mosam me
Mitte sapane dikaye saawan
Nadi saagar lare sab gaaye
Kabhi na jaye ye saawan

सावन के सुहाने मौसम में

July 11, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

खिलते हैं दिलों में फूल सनम सावन के सुहाने मौसम में।
होती है सभी से भूल सनम सावन के सुहाने मौसम में।

यह चाँद पुराना आशिक़ है
दिखता है कभी छिप जाता है
छेड़े है कभी ये बिजुरी को
बदरी से कभी बतियाता है
यह इश्क़ नहीं है फ़िज़ूल सनम सावन के सुहाने मौसम में।

बारिश की सुनी जब सरगोशी
बहके हैं क़दम पुरवाई के
बूँदों ने छुआ जब शाख़ों को
झोंके महके अमराई के
टूटे हैं सभी के उसूल सनम सावन के सुहाने मौसम में।

यादों का मिला जब सिरहाना
बोझिल पलकों के साए हैं
मीठी-सी हवा ने दस्तक दी
सजनी को लगा वो आए हैं
चुभते हैं जिया में शूल सनम सावन के सुहाने मौसम में।

Aaya Sawan Khushiyan Le Kar!

July 11, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

आया सावन खुशियाँ लेकर
खुश हुई कुदरत बूँदें प् कर
फ़ैल गयी चारों ओर हरियाली
खिल गए फूल डाली डाली
पायल चनका रही पावस रानी
चालक गया नदियों से पानी
चहचहा रहे हैं पंची दूर गगन में
नाच रहा है मो़र अपने पंख ताने
बुझ गयी पृथ्वी की तृष्णा
सानंद हुआ कृषक अपना
सोंधी सोंधी उठी सुगंधी
बह रही है पवन ठंडी ठंडी
दौड़ उठी कागज़ की कश्ती
बहने मेंहदी रचा आनंद झूलों का लेती
आ गया पर्वों का मौसम
राखी तीज जन्माष्टमी और ओणम
बरखा ने शीतल किया मन्
प्रसन्न हुआ जन जन ।

New Report

Close