“अजनबी” #2Liner-18

ღღ__हमको सताने के मौके, वो छोड़ते नहीं हैं “साहब”;
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कल ख़्वाब में भी आए, तो अजनबी बनकर !!…….‪#‎अक्स
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जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

Responses

      1. ℘___हम नींद के शौकीन ज्यादा तो नहीं,
        कुछ ख्वाब ना देखें तो गुजारा नहीं होता____℘

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