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दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

Responses

  1. दिल तो मनाने से ही मानता है जनाब
    मेरी न मानो तो अपने दिल से पूछ के देखो

    1. बहुत खूब भाई…..

      कुछ लोगों के दिल, पत्थर से भी हुआ करते हैं \”साहब\”;
      .
      हर शख्स इस जहाँ में, हम और आप जैसा नहीं होता !!…….#अक्स

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