“ऑंखें ” #2Liner-7

ღღ___मेरी आँखों में जो क़ैद है “साहब”, वो समुन्दर ही है शायद;
.
कि सूखता भी नहीं, बहता भी नहीं, बस भरा ही रहता है !!…….‪#‎अक्स‬

Related Articles

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

किसान की व्यथा

पसीना सूखता नहीं धूप में। किसान होता नहीं सुख में।। अतिवृष्टि हो या फिर अनावृष्टि। प्रकृति की हो कैसी भी दृष्टि। किसानों के परिश्रम के…

Responses

  1. Aur wo 2 boondein jab kabhi tapak jati hain..
    Isi sagar mein badalon ki parchai nazar aati hai,

    Rang badalti, lalima odti hui ye aankhein..
    Ek baar fir se surya uday ke liye machal jati hain 🙂

New Report

Close