कायनात
निकल कर घोंसले से आ मुलाकात कर ले,
मिलने की कहीं से तो आ शुरूवात कर ले।
ढूंढते – ढूंढते थक हार कर बैठ गए हैं परिंदे,
मुझे लगा गले और सुबह से आ रात कर ले।
अब लगाऊँ मैं तेरे हौंसले का अंदाज़ा कैसे,
हो सके तो थोड़ी सी मुझसे आ बात कर ले।
सुबह का भूला हूँ शाम को लौट तो आया हूँ,
कर माफ़ और पहले जैसी कायनात कर ले।।
राही अंजाना
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Pt, vinay shastri 'vinaychand' - November 17, 2019, 6:07 pm
बढ़िया एवं प्रशंसनीय
राही अंजाना - November 17, 2019, 8:19 pm
Thanks
NIMISHA SINGHAL - November 17, 2019, 6:59 pm
Nice
राही अंजाना - November 17, 2019, 8:18 pm
Thanks
Poonam singh - November 17, 2019, 7:14 pm
Sundar
राही अंजाना - November 17, 2019, 8:18 pm
Thanks
nitu kandera - November 17, 2019, 10:08 pm
Wah
राही अंजाना - November 18, 2019, 5:37 pm
धन्यवाद
NIMISHA SINGHAL - November 18, 2019, 1:13 am
Wah
राही अंजाना - November 18, 2019, 5:37 pm
धन्यवाद
देवेश साखरे 'देव' - November 18, 2019, 11:45 am
वाह
राही अंजाना - November 18, 2019, 5:37 pm
धन्यवाद
Neha - November 18, 2019, 8:12 pm
Waah
राही अंजाना - November 18, 2019, 10:07 pm
धन्यवाद
Abhishek kumar - November 24, 2019, 9:00 am
Good
राही अंजाना - November 24, 2019, 7:33 pm
धन्यवाद
Neha - November 24, 2019, 7:53 pm
Waah
राही अंजाना - November 24, 2019, 8:01 pm
धन्य