बाल मजदूर
बच्चें को बचपन तपाना मंजूर था,
मेहनत मजदूरी की रोटी कुबूल था।
शान से जीना शान से मरना मां ने सिखाया था,
इसलिए आत्मसम्मान में रोटी कमाना आसान था।।
✍महेश गुप्ता जौनपुरी
बच्चें को बचपन तपाना मंजूर था,
मेहनत मजदूरी की रोटी कुबूल था।
शान से जीना शान से मरना मां ने सिखाया था,
इसलिए आत्मसम्मान में रोटी कमाना आसान था।।
✍महेश गुप्ता जौनपुरी
Please confirm you want to block this member.
You will no longer be able to:
Please note: This action will also remove this member from your connections and send a report to the site admin. Please allow a few minutes for this process to complete.
👌
👌👌👏👏
Nice