मां
लिये छः ऋतुयें आये नया साल,
हर ऋतु गुजरे मेरी संग मां के,
त्यौहार मेरे न तुमसे, संग मां के,
मेहनत मेरी ,उगले सोना मेरी माँ,
समझता मैं खिलखिलाना मां का,
सिसकता मैं देख सुखी धरा को,
सुनी सुखी आंखे मेरी देखे अंबर,
सुख गया वो भी जैसे भूख मेरी,
जा रहा मैं अब उसके द्वारे,
लिये जा रहा अपने शिकवे,
सौप दिये जा रहा मां अपनी,
विलाप मेरा भरेगा अंबर,
बन बूंदे टपकेंगे मेरे आँसू,
मेहनत से थाम लेना मेरी माँ,
जा रहा मैं अब उसके द्वारे।
Nice
Good
Nyc
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