मैं अन्नदाता

मैं अन्नदाता देख अपनी थाली में खाना रूखा सूखा, हो उदास सोचे किसान फ़िर एक बार, हूँ किसान कहलाता मैं जग में अन्नदाता, रहता साथ…

मां

लिये छः ऋतुयें आये नया साल, हर ऋतु गुजरे मेरी संग मां के, त्यौहार मेरे न तुमसे, संग मां के, मेहनत मेरी ,उगले सोना मेरी…

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