स्वतन्त्रता की कहानी

गुलामी में भी हमारे दिल में देश की शान काफी थी,

तोड़ देते थे होंसला अंग्रेजो का हममे जान काफी थी,

पहनते थे कुर्ता और पाजामा खादी की पहचान काफी थी,

गांधी जी के मजबूत इरादों की मुस्कान काफी थी,

आजाद भारत देश को स्वतंत्र भाषा विचार को,

लड़ कर मर मिट जाने की तैयार फ़ौज काफी थी,

गुलामी की जंजीरों से जकड़े रहे हर वीर में,

स्वतंत्र भारत माँ को देखने की तस्वीर काफी थी॥

राही (अंजाना)

Related Articles

जंगे आज़ादी (आजादी की ७०वी वर्षगाँठ के शुभ अवसर पर राष्ट्र को समर्पित)

वर्ष सैकड़ों बीत गये, आज़ादी हमको मिली नहीं लाखों शहीद कुर्बान हुए, आज़ादी हमको मिली नहीं भारत जननी स्वर्ण भूमि पर, बर्बर अत्याचार हुये माता…

आजादी

स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाये। गुलामी में भी हमारे दिल में देश की शान काफी थी, तोड़ देते थे होंसला अंग्रेजो का हममे जान काफी थी,…

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

आज़ाद हिंद

सम्पूर्ण ब्रहमण्ड भीतर विराजत  ! अनेक खंड , चंद्रमा तरेगन  !! सूर्य व अनेक उपागम् , ! किंतु मुख्य नॅव खण्डो  !!   मे पृथ्वी…

Responses

+

New Report

Close