ज़िद्दी ज़िन्दगी
ज़िन्दगी मुझ से बस अपनी ही मनवाती है
कभी मेरी सुनती नहीं बस अपनी ही सुनाती है…
कभी जो पूछू सवाल उस से,माँगा करू जवाब
उस से
बस वो धीरे से मुस्कुराती है
ज़िन्दगी मुझ से बस अपनी ही मनवाती है…
कई बार बतलाई अपनी ख्वाहिशे उसको ,
इल्तजा भी की कोई जो पूरी कर दो
वो मेरी अर्ज़ियाँ मुझको ही वापस भिजवाती है
ज़िन्दगी मुझ से बस अपनी ही मनवाती है …
मुझसे कहती है आज न सही, कल
पूरी कर दूंगी ख्वाहिशे तेरी,तू हौसला न छोड़
बस इसी कल की आरज़ू में, मुझे दो कदम
और अपनी ओर ले जाती है….
ज़िन्दगी मुझ से बस अपनी ही मनवाती है
कभी मेरी सुनती नहीं बस अपनी ही सुनाती है ……
zindgi her kadam ek nyi jang he
sahi kaha
Wah!
shukriyaa
Wah
Thank you
वाह
dhnyawad
बहुत सुन्दर
bahut bahut aabhar
वाह बहुत सुंदर रचना
Bahut sundar rachna
Good
Nice
Nice lines