अरमान हमारे
46: अरमान
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विभिन्न धर्मों की मिली-जुली गूंज
सदियों से हमारी माटी के कण-कण में विद्यमान है ।
हमसब के मन-मन्दिर में बसते,
जन-गण के नायक बस श्रीराम हैं ।।
जहाँ मन्दिरों के घंटे,मस्जिदों की अजान है
गुरूद्वारो की गुरूवाणी, चर्च की प्रार्थना,
संग-संग गुन्जमान हैं ।
हाँ, यह हमारी प्रचानीता में समाहित
मजबूत समावेशी भारत की सशक्त पहचान है ।।
यह विजयप्रतीक नहीं
मानवता मर्यादा मूल्यों का पुनः
प्रतिष्ठिकरण का आगाज़ है,
हमसब एक हैं यही हमारी संस्कृति का अभिमान है ।।
नव भारत,सशक्त भारत, समावेशी भारत की
नयी इबारत लिखनी है
धार्मिक, सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक,नागरिक
अधिकारों को संरक्षित रखने की हिमायत करनी है
सनातन धर्म हो, सिर्फ इस धरा पर,
बस यही अरमान हैं।
सब के—
सुमन आर्या
अतिउत्तम
अतिउत्तम नहीं अत्युत्तम होता है।
विकास जी शुद्ध हिंदी लिखना सीखिए।
बहुत बहुत धन्यवाद
,सुन्दर
आभार
वाह, बहुत सुंदर लिखा है सुमन जी
आभार ज्ञापित करती हूँ
बहुत सुंदर रचना
बहुत बहुत धन्यवाद गीताजी ।
मुझे प्रतीक्षा रहती है,आपकी प्रतिक्रिया की।
पुनः आभार ।
सराहनीय
बहुत बहुत धन्यवाद राजीवजी।
Welcome !
बहुत सुंदर पंक्तियां