किरदार

‘ऐसे किरदार का यूँ भी है महकना वाजिब,
कि नाम जिसका महज़ खुशबुओं से लिखा हो..
आखरी खत ये जो खाली सा नज़र आता है,
यूँ भी हो सकता है कि आँसुओं से लिखा हो..’

– प्रयाग

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Responses

      1. कहना पड़ा क्योंकि यूँ तो मैं किसी की तारीफ़ करती नहीं
        बस जब लगता है तभी करती हूँ
        यह मेरे विचार हैं
        सावन का फैसला कुछ भी हो सकता है।
        Thank you sir

  1. बहुत ही बेहतरीन
    मैं भी प्रज्ञा जी के विचारों से सहमत हूं बहुत ही सराहनीय है आपका लेखन कार्य।

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