तुम जाओगे…
तुम जाओगे ,कल नहीं;
आज चलें जाओ,
छोड़ जाओ, रोकूंगा नहीं,
मगर काम ज़रा-सा करके जाओ,
फिर कभी टोकूंगा नहीं।
ये यादें जो घर बनाएं बैंठी है दिल में,
ज़रा मेहरबानी ! ले जाओ,
फिर कभी भी; ईमान से, कोसूंगा नहीं।
तुम जाओगे ,कल नहीं;
आज चलें जाओ,
छोड़ जाओ, रोकूंगा नहीं,
मगर काम ज़रा-सा करके जाओ,
फिर कभी टोकूंगा नहीं।
ये यादें जो घर बनाएं बैंठी है दिल में,
ज़रा मेहरबानी ! ले जाओ,
फिर कभी भी; ईमान से, कोसूंगा नहीं।
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बहुत खूब, लेखनी को सलाम
बहुत बहुत धन्यवाद सतीश सर
🙏🙏 शुभ रात्रि
✍👏✍👏
बहुत बहुत आभार 🙏 सर
शुभ रात्रि
बिल्कुल सही👏👏👍
हार्दिक आभार 🙏
आपकी लेखनी को सलाम
बहुत बहुत धन्यवाद 🙏 ऋषि जी
क्या बात है, सैल्यूट
बहुत बहुत शुक्रिया मैम 🙏🙏
काबिले तारीफ
बहुत बहुत आभार
सुन्दर
बहुत बहुत धन्यवाद
Atisunder kavita
बहुत बहुत धन्यवाद
Bahut sundar
धन्यवाद जी