तू है तो हर खुशी है
मैं कवि नहीं हूं कविता
सौ कोस दूर मुझसे
कैसे बखान हो अब
तेरा स्वरूप मुझसे।
तेरे गुण बहुत अधिक हैं,
मेरे पास शब्द कम हैं
लय में भी आजकल कुछ,
बिखरी हुई चुभन है।
लेकिन जरूर इतना
चाहूंगा तुझसे कहना
तेरे बिना सभी कुछ
लगता है मुझको सूना।
तू है तो जिंदगी है,
तू है तो हर खुशी है
होने से तेरे घर में
छाई हुई हंसी है।
—— डॉ0 सतीश पाण्डेय
उत्कृष्ट रचना..और कवि का स्वयं को कवि ना कहना उनकी श्रेष्ठता का परिचायक है।
आपको हृदय की अतल गहराइयों से धन्यवाद
rightly said
सादर धन्यवाद वसु जी
nice poem
Thank you
हृदय कुंज से निकली हुई भावना अतिसुंदर प्रस्तुति
सादर धन्यवाद जी
अपने आपको तुच्छ दर्शाती कवि की सोच उसके बड़प्पन को प्रकट करती है