सत्य पथ चलता रहूँ
लब खुलें तो सत्य बोलें
अन्यथा पट बन्द हों,
ईश ऐसी शक्ति देना,
भाव में नव छन्द हों ।
याचना है ईश तुझसे,
काम से मतलब मुझे हो,
और राहों और बातों से
नहीं मतलब मुझे हो।
सत्य की हो बात जो भी
वो मेरे मन दर्ज हो,
राह देना पथ भटकते को
मेरा एक फर्ज हो।
कोई कुछ भी बोल दे
मैं कर्मपथ चलता रहूँ
दूसरों से भी उसी पथ में
चलो कहता रहूँ।
कोई माने या न माने
सत्य में कहता रहूँ
प्यार पाऊँ, ठेस पाऊँ
सत्य पथ चलता रहूँ।
बहुत ही बढ़िया रचना है वाह
बहुत धन्यवाद
बहुत सुंदर पंक्तियाँ लिखी हैं पाण्डेय जी
सादर धन्यवाद
लब खुलें तो सत्य बोलें
अन्यथा पट बन्द हों,
ईश ऐसी शक्ति देना,
भाव में नव छन्द हों ।
____________ सदा सत्य बोलने के लिए ईश्वर से प्रार्थना करने की कवि सतीश जी द्वारा रचित एक श्रेष्ठ रचना, सुंदर शिल्प और सुंदर भाव सहित उम्दा लेखन
इस बेहतरीन समीक्षा हेतु बहुत बहुत बहुत धन्यवाद गीता जी
लब खुलें तो सत्य बोलें
अन्यथा पट बन्द हों,
ईश ऐसी शक्ति देना,
भाव में नव छन्द हों ।
याचना है ईश तुझसे,
काम से मतलब मुझे हो,
और राहों और बातों से..
सत्य पथ पर चलने को
प्रेरित करती तथा ईश्वर से यही प्राप्थना करती हुई पंक्तियां