साथी
वित्त – विभूति कहीं जले
तो, जल ही उस बुझाए
कहीं दिल जले तो क्या किया जाए..
अम्बर से पानी बरसे,
तो , छतरी को लिया जाए
नयनों से पानी बरसे, तो क्या किया जाए
देह में कहीं दर्द हो ,
तो दवा ले ली जाए
वेदना हो तो क्या किया जाए
अच्छा साथी होता है,
दवा सा ही..
अच्छे साथी का साथ मिले गर,
तो दवा ही ना ली जाए..
*****✍️गीता*****
बहुत खूब
अच्छे साथी तो दवा भी हैं और दुआ भी।
सुन्दर प्रस्तुति
बहुत अच्छी समीक्षा की है आपने भाई जी, बहुत बहुत धन्यवाद 🙏
अच्छा साथी होता है,
दवा सा ही..
अच्छे साथी का साथ मिले गर,
तो दवा ही ना ली जाए..
वाह वाह, आदरणीया गीता जी, आपकी लेखनी में अद्भुत साहित्य भरा है। श्रृंगार से परिपूर्ण रचना। साथी के सुरम्य महत्व को उद्घाटित करती अतिसुन्दर कविता।
सुन्दर समीक्षा और सराहना हेतु आपका बहुत बहुत धन्यवाद सर 🙏
आपकी इस प्रेरक टिप्पणी से बहुत उत्साह वर्धन हुआ ।
बहुत खूब
बहुत बहुत धन्यवाद सर 🙏
अतीव सुन्दर
Thanks for your precious compliment Kamla ji.
Nice line
Thank you Pragya for your valuable compliment.
सुन्दर