सूर्य का स्वागत

नई भोर है सूर्य का स्वागत
करेंगे हम…
खिड़कियों से पर्दे हटा
किरणों से नहाएगे हम..
तितलियों के पंख से चुरा लेंगे
तमाम रंग
फीके आसमां पे जा नित नवीन
चित्रकारी करेंगे हम..
सागर की लहरों से सीख लेंगे…
जीवन के उतार-चढ़ाव
पंख खोल आसमां में जा
उड़ेंगे हम…
पपीहे की पुकार सुन झूम
उठेंगे मन-गगन
और रेत से कभी फिसला
करेंगे हम…
चुरा लाएगे एक रोज़ हम
समय की चाबियां
वक्त-बेवक्त फिर जगा
करेंगे हम…

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Responses

    1. अरे मैम!
      यह आप कह रही हो यकीन ही नहीं होता मैं तो खुद ही आपकी कविताओं की बहुत बड़ी फैन हूं

  1. यह कविता तो बहुत बढिया लगी
    उत्तम रचना
    प्रकृति का सुन्दर चित्रण किया है आपने
    हर पँक्ति में सागर भर दिया आपने
    वाह क्या बात है खूबसूरत कविता लिखी है ।
    सूर्य का स्वागत करने की बात
    बहुत अच्छी लगी है

  2. हिंदी की उत्तम कविता
    वाह क्या बात है खूबसूरत कविता लिखी है आपने
    उत्तम सोच
    उत्तम रचना

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