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दोहा

March 9, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

जिसके ख़ातिर छोड़ हम,आए थे घर-बार।
वो ही अब कहने लगा,रहा नहीं है प्यार।।

ठा. कौशल सिंह✍️

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स्वच्छ भारत

March 7, 2018 in गीत

स्वच्छ्ता हो प्राथमिकता
स्वयं से शुरुआत करिए।

स्वच्छ हो घर-बार अपना
स्वच्छता हो सार अपना
ग़र नहीं मिलता समय तो
दीजिए इतवार अपना
मामला सबसे जुड़ा है
इसलिए फिर बात करिए,
स्वयं से शुरुआत करिए।

स्वच्छ्ता का ध्यान रखिए
स्वच्छ्ता का ज्ञान रखिए
इसलिए ही पाठ्यक्रम में
इसका अब स्थान रखिए
एक के बस की नहीं है
मिल के सब ही साथ करिए,
स्वयं से शुरुआत करिए।

स्वच्छ भारत को बनाएं
मान भारत का बढ़ाएं
आइए मिलकर करें यह
हाथ सबका हम बटाएं
गंदगी न के बराबर
या तो कम अनुपात करिए,
स्वयं से शुरुआत करिए।

ठा. कौशल सिंह✍️

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मुक्तक

March 6, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

सियासी आदमी हरगिज़ तुम्हारा हो नहीं सकता।
कोई भी मतलबी दुःख में सहारा हो नहीं सकता।
जमीं ग़र रो रही है तो सुनो बस बेबकूफ़ी है-
फ़लक़ का है जमीं का तो सितारा हो नहीं सकता।

ठा. कौशल सिंह✍️

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ख़ुद्दार

March 6, 2018 in शेर-ओ-शायरी

अरे कौशल मिलाओ ख़ून में तुम भी ज़रा पानी,
बहुत ख़ुद्दार होना भी तुम्हें बरबाद कर देगा।

ठा. कौशल सिंह✍️

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