Tribute to Soldiers

February 5, 2017 in शेर-ओ-शायरी

ये है तो हम है,हमारी जिंदगी है|
क्या हमारी जिंदगी में ये है?

दिल न न करते बहुत कुछ कह गया

December 8, 2016 in शेर-ओ-शायरी

दिल न न करते बहुत कुछ कह गया
अब उस पर पर्दा दिमाग डाले तो कैसे

अल्फ़ाज ए दिल हम लिखे कैसे?

December 4, 2016 in शेर-ओ-शायरी

अल्फ़ाज ए दिल हम लिखे कैसे?
कलम को जुखाम है,
कागज पीलिये में पीला हुआ जा रहा है!

इस पल में

May 26, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

आज इस पल में सदियों का दर्द ठहर आया था जैसे
उस पल में दो जुदा जिंदगियों की मौत हुई थी

Ye mana dil jise dhunde

November 3, 2015 in English Poetry

Ye mana dil jise dhunde
Badi mushkil se milta hai
Ye mana dil jise dhunde
Badi mushkil se milta hai
Magar jo thokare khaye
Bina manzil se milta hai

Chalo baithe ho kya bekar
Kisnamat ke duhraye par
Chalo baithe ho kya bekar
Kisnamat ke duhraye par
Wahi rasta hia jo
Tumhare dil se milta hai
Ye mana dil jise dhunde
Badi mushkil se milta hai
Magar jo thokare khaye
Wahi manzil se milta hai

Agar dushman koi tofan
Uthaye bhi to kya parvha
Agar dushman koi tofan
Uthaye bhi to kya parvha
Safina rund kar tufan ko
Sahil se milta hai
Ye mana dil jise dhunde
Badi mushkil se milta hai
Magar jo thokare khaye
Bina manzil se milta hai.

गाये जा गीत मिलन के

November 3, 2015 in हिन्दी-उर्दू कविता

गाये जा गीत मिलन के
तू अपनी लगन के
सजन घर जाना हैं
काहे छलके नैनों की गगरी, काहे बरसे जल
तुझ बिन सूनी साजन की नगरी, परदेसिया घर चल
प्यासे हैं दीप गगन के
तेरे दर्शन के
सजन घर जाना हैं
लूट ना जाये जीवन का डेरा, मुझको हैं यह ग़म
हम अकेले, ये जग लुटेरा, बिछुड़े ना मिल के हम
बिगड़े नसीब ना बन के
ये दिन जीवन के
सजन घर जाना हैं
डोले नयन प्रीतम के  द्वारे, मिलने की हैं धून
बालम तेरा तुझको पुकारे, याद आने वाले सुन !
साथी मिलेंगे बचपन के
खिलेंगे फूल मन के
सजन घर जाना हैं

उठाये जा उन के सितम और जिये जा

November 3, 2015 in हिन्दी-उर्दू कविता

उठाये जा उन के सितम और जिये जा
युंही मुस्कुराये जा, आँसू पिये जा

यही है मुहब्बत का दस्तूर, ऐ दिल
वो ग़म दें तुझे, तू दुआएं दिये जा

कभी वो नज़र जो समायी थी दिल में
उसी एक नज़र का सहारा लिये जा

सताये जमाना सितम ढाये दुनिया
मगर तू किसी की तमन्ना किये जा
उठाये जा उन के सितम और जिये जा

यूं तेरी रहगुज़र से दीवानावार गुज़रे

October 29, 2015 in हिन्दी-उर्दू कविता

यूं तेरी रह गुज़र से दीवाना-वार गुजरे
कांधे पे अपने रख के अपना मज़ार गुजरे

बैठे रहे रस्ते में , दिल का खंडहर सजा कर
शायद इसी तरफ से एक दिन बहार गुजरे

बहती हुई ये नदिया , घुलते हुए किनारे
कोई तो पार उतरे , कोई तो पार गुजरे

तूने भी हमको देखा , हमने भी तुझको देखा
तू दिल ही हार गुज़रा हम जान हार गुजरे

————————————————————-

yuun teri rahguzar se diwana waar guzre
kandhe pe apne rakh k apna mazaar guzre

baithe rahe hain rasta main dil ka khandar saja kar
shayad isi taraf se ek din bahar guzre

bahti hui ye nadiya ghulte hue kinare
koi to paar utre koi to paar guzre

tuu ne bhi ham ko dekha hamne bhi tujhko dekha
tuu dil hi har guzra ham jaan har guzre

हमने जफ़ा न सीखी

October 28, 2015 in हिन्दी-उर्दू कविता

हमने जफ़ा न सीखी उनको वफ़ा न आई
पत्थर से दिल लगाया और दिल पे है चोट खाई

अपने ही दिल के हाथों बरबाद हो गए हम
किसके करें शिकायत अब किसकी दें दुहाई

दुनिया बनाने वाले मैं तुझसे पूछता हूँ
क्या प्यार का जहाँ में बदला है बेवफाई

हमने जफ़ा न सीखी उनको वफ़ा न आई
पत्थर से दिल लगाया और दिल पे है चोट खाई…

क्या मैं तुम्हें चूम लूँ

October 28, 2015 in हिन्दी-उर्दू कविता

“क्या मैं तुम्हें चूम लूँ?”
डल झील. पूरे चाँद की रात.
उसने डरते हुए पूछा।

“हश्श्, नाव डूब जाएगी”, वो बोली

“तो क्या करें?”

वो मुस्कुराई और बोली “डूब जाने दो”
और वो सहम गया

साथी न कोई मंजिल

October 26, 2015 in हिन्दी-उर्दू कविता

साथी न कोई मंजिल
दीया है न कोई महफ़िल
चला मुझे ले के, ऐ दिल, अकेला कहाँ? …
हरदम मिले कोई, ऐसे नसीब नहीं
बेदर्द  है जमीं, दू-ऊ-ऊ-र आस्माँ
चला मुझे ले के, ऐ दिल, अकेला कहाँ? …
गालियाँ हैं अपने देश की, फिर भी हैं जैसे अजनबी
किसको कहे कोई अपना यहाँ?…
पत्थर  के आशना मिले, पत्थर के देवता मिले
शीशे का दिल लिए, जाऊं कहाँ
साथी न कोई मंज़िल
दिया है न कोई महफ़िल
चला मुझे ले के, ऐ दिल, अकेला कहाँ?…

मेरी लाडली री बनी

October 24, 2015 in हिन्दी-उर्दू कविता

मेरी लाडली री बनी है तारों की तू रानी
नील गगन पर बादल डोले, डोले हर इक तारा
चांद के अंदर बढ़िया डोले ठुमक-ठुमक दर-द्वारा
कमला गाए बिमला गाए, गाए कुनबा सारा
घूँघट काढ़ के गुड़िया गाए, झूले  गुड्डा प्यारा
बटलर नाचे, बैरा नाचे, नाचे मोटी आया
काले साहब का टोपा नाचे, गोरी  मेम का साया
मेरी लाडली री बनी है तारों की तू रानी
मोहब्बत

मोहब्बत

October 19, 2015 in हिन्दी-उर्दू कविता

तुम अपने हाथों क़ी मेहंदी में
मेरा नाम लिखती थी और
मैं अपनी नज्मों में तुम्हे पुकारता था

 

लेकिन मोहब्बत की बातें अक्सर किताबी होती हैं
जिनके अक्षर
वक़्त की आग में जल जाते हैं
किस्मत के दरिया में बह जाते हैं

 

तुम्हारे हाथों की मेहंदी से मेरा नाम मिट गया
वह तुम्हारी मोहब्बत है
लेकिन
मैं अपनी नज्मों से तुम्हें जाने न दूंगा

 

ये मेरी मोहब्बत है ।

New Report

Close