हम बेताब बैठे है

August 11, 2016 in शेर-ओ-शायरी

हम बेताब बैठे है
इश्क़ करने को
कोई बेइश्क हो, तो बता देना

हम भी तो देखें
इश्क़ क्या है
और इसका अपना क्या मजा है

मैंने सुना है
कि इश्क़ दीवाना होता है
उम्र मेरी भी है अब इश्क़ की
थोड़ा सा मुझे भी हो जाने दो

इश्क़ सुकून देता है या दर्द
तुमने क्या महसूस किया
इसकी मुझे परवाह नहीं

इश्क़ की हवा में
मुझे भी सांस लेने दो
तन्हाईयों में अब घुटन महसूस होती है

इश्क़ मुझे कोई जीना सिखा दे
कोई ऐसा इश्क़ कर लेना
वैसे मरने को तो दर्द बहुत है इस जिन्दगी में

किसी ने इश्क़ किया हो
तो बता देना
अभी नया -नया हूँ मै
इस मुहब्बत के दरिया में

मैंने उससे पूछा
कि इश्क़ क्या है
वो मेरी आँखों में देखती रही
और कहकर चली गई
कि यही इश्क़ है

कसम से जब- जब
मैं उसकी आँखों में देखता हूँ
कभी झील दिखती है तो कभी दरिया

इश्क़ को यूँ ही बदनाम कर गए
वो लोग
कि मुहब्बत दर्द देती है
वफा खुद कर ना सके
और कह गए
कि लड़की बेवफा होती है

………………………………………………
अनूप हसनपुरी

बोल

August 2, 2016 in शेर-ओ-शायरी

तू कुछ बोले
तो मैं सुन लू
ख्वाब दिलों के सारे
मैं खुद ही बुन लू

दोस्ती

June 13, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

आज फिर
एक साथी मुझे छोड़कर चला गया
आँखों को रुलाकर चला गया
और होंठों को हँसा कर चला गया
पूछ बैठा कि नाराज तो नहीं हो
जाहिर भी कैसे करता दोस्त था अपना
जाते -जाते “अपना ख्याल” रखना
कहकर वो फिकर जताकर चला गया
चेहरे को मुस्कुरा कर चला गया
और हाथों को मिला कर चला गया
जाने अनजाने में ही सही
एक रिश्ता बनाकर चला गया
खुद बिखरा हुआ था अन्दर से
मुझे दुनिया हसीन बताकर चला गया
……………………………………………..
अनूप हसनपुरी

दिल की आवाज

June 9, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

दिल क्या कहता है
इस दिल की बात सुनू
दिल तो पागल है
फिर भी इसके साथ चलू

वे मक्शद आवारा पीछे भागा करता है
मैं समझ नहीं पाता पागल
ये प्यार किसी से करता है

कभी सासों सा धडकता है
कभी हवा में तैरा करता है
मैं समझ नहीं पाता पागल
ये प्यार किसी से करता

स्वछन्द अन्धेरी रातों को
कुछ सपने पिरोता रहता है
दिन के उजयारे में
हर पल मचलता रहता है
ख्वाबों की दुनिया में डूबा रहता है
मैं समझ नहीं पाता पागल
ये प्यार किसी से करता

मैं सो जाता हूँ रातों को
हर पल सीने में धडकता रहता है
मैं समझ नहीं पाता पागल
ये प्यार किसी से करता
………………………………………
अनूप हसनपुरी

माँ

June 9, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

माँ

तू कुदरत का करिश्मा है

या तेरा करिश्मा है

इन्सान कोई भी हो

तेरी चाहत तो सबको होती है

 

या

तुम्हारी याद

June 8, 2016 in गीत

क्यों रूठे हो तुम हमसे…  ?
ना तुम याद आते हो
ना तुम्हारी याद आती है

जिक्र जो करूँ तुम्हारा तो
ये बैरन हवा
दिल के पन्ने पलट कर चली जाती है

छाया तेरी जुल्फों की मांगू तो
ये तपती दुपहेरी
मेरे चेहरे को जला जाती है

खुद की वफा साबित करु तो
मेरे सीने की धड़कन ही
मुझे बेवफा बतलाती है

मुलाकात तो होती है रास्तों पर
मैं नज़रें झुका लेता हूँ
वो नज़रें चुरा लेती है

भूले नहीं हम दोनों अभी तक
मैं हँस देता हूँ
वो बदले में मुस्कुरा देती है

मुझको लगता है अभी तक
कि उसकी भी कोई
आखिरी ख्वाहिश बाकी है

मैं पलट कर देखता हूँ तो
वो अपने लबों पर
कोई बात छिपाती है
………………….
अनूप हसनपुरी

वो प्यार

June 7, 2016 in शेर-ओ-शायरी

वो प्यार कर रही थी
अपने लबों से मेरे होंठों पर इजहार कर रही थी
मुझसे कभी रुखसत न होना
ऐसे वादे हजार कर रही थी
……………………..
अनूप हसनपुरी

कोरा पन्ना

June 7, 2016 in ग़ज़ल

तू कोरा पन्ना है
मैं तेरी लिखावट बन जाऊँगा

तू मेरी कलम के शब्द बन जाना
मैं तेरे शब्दों की किताब बन जाऊँगा

तू गुलाब के फूल बन जाना
मैं तेरे घर की सजावट बन जाऊँगा

तू मेरे होंठों की हसी बन जाना
मैं तेरे चेहरे की मुस्कुराहट बन जाऊँगा

तू मेरा जिस्म बन जाना
मैं तेरी रूह बन जाऊँगा

तू मेरे लिए बस इन्सान बन जाना
मैं तेरे लिए भगवान बन जाऊँगा
……………………………………….
अनूप हसनपुरी

New Report

Close