by Anuj

जिंदा है अगर तू

October 9, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

जिंदा है अगर, तू जिंदगी की नाक में दम कर दे।
तू हंस, तू मुस्करा, और रोना बंद कर दे।।
तेरा है जो, उसे लड़ के छीन ले
बाकि जिंदगी को , तू दान कर दे।।

हैं अपनी लाश नहीं अगर तू
समस्याओं को सारी दफ़न कर दे,
तुझसे तो बड़ी नहीं, बाधाएं तेरी
बाधाओं को ताबूत में, कैद कर दे।

बड़ा समुन्द्र सा बन जा तू
और नदियों को मजबूर कर दे।
काबिल बना ले खुद को यूं
तू जुबां लोगो की बंद कर दे।।

तू हंस, तू मुस्करा ,और रोना बंद कर दे।
जिंदा है अगर, तू जिंदगी की नाक में दम कर दे।।

AK KI DIARY

by Anuj

याद ए उल्फत

December 9, 2020 in शेर-ओ-शायरी

कुछ दिन संभालो जरा, अपनी याद- ए -उल्फत तुम,
कि पुरानी चोट सर्दी में दर्द बहुत देती हैं।।
AK

by Anuj

अन्तिम यात्रा

October 2, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

विश्व गुरु की संस्कृति की आज
ये यात्रा अंतिम निकल रही,
चिता जल रही संस्कारो की
मर्यादाएं राख हो रही।।

धुंआ हैवानियत का उड़ रहा
दरिंदगी की लपटें निकल रही,
देवी रूप में जिसकी पूजा होती
चींखें उसकी आज गूंज रही।।

इंटरनेट, सिनेमा ईंधन डालें
आधुनिकता अर्थी उठा रही,
सबको जिंदगी देने वाली
आज मुंह छिपाकर रो रही।।

भारतवासियों तुम जत्न करो
पुनर्जन्म इस संस्कृति का होए,
भार इन पापो का वरना
धरा अब ना ये सह पाए।।

पश्चिम सभ्यता का करो त्याग
समस्या अब ये विकट हो रही,
देखो, विश्वगुरु की संस्कृति की आज
ये यात्रा अंतिम निकल रही।।
AK

by Anuj

लाइफ रिपेयरिंग

September 23, 2020 in शेर-ओ-शायरी

सोचता हूं लाइफ रिपेयरिंग की
कोई शॉप खोल लूं,
बहुतों की यहां बिगड़ी पड़ी है।।

by Anuj

हिन्दू मुस्लिम

September 13, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

गायब इस धरा से आज, इंसान क्यूं है।।
कोई हिन्दू, कोई यहां मुसलमान क्यूं है,
एक थाली में खाने वाले,
सुख दुख में साथ निभाने वाले
मिलके त्यौहार मनाने वाले
बने आज शैतान क्यूं हैं,
प्यार भरे दिलो में आज, नफरत के पैगाम क्यूं हैं,

इंसानियत है बची नहीं, कहते
इंसान क्यूं हैं,
गीता और कुरान का आज
अपमान क्यूं है।
बुरा नहीं है हिन्दू
ना ही बुरा मुसलमान है,
राजनीति की गंदी चालो का
विनाशकारी ये तूफान क्यूं है।।
गुरुकुल और मदरसों का भूले
ज्ञान क्यूं है।
ना दीवाली में अली, रमजान से
गायब राम क्यूं हैं।।

आओ भूलें हिन्दू- मुस्लिम
एक दूजे को गले लगाएं,
अपनी एकता से फिर हम
देश भारत महान बनाएं।।
AK

by Anuj

उम्मीदों का पुलिंदा

August 31, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

उम्मीदों ने ही किया घायल
और उम्मीदों पे ही जिंदा था,
इस उम्मीद- ए- जहां का
मै एक मासूम परिंदा था।।

कूट के भरा था दिल में प्यार
प्यार का मै बंदा था,
सादगी की सादी चादर औढे
मासूमियत का मै पुलिंदा था,

पर ना था महफूज शायद
जमाना मेरी उम्मीदों के लिए,
यहां तो ये मासूमियत बस
शातिर लोगो को धंधा था।।

ना कद्र मेरी उम्मीदों की
ना मासूमियत को प्यार मिला,
ये सब तो इस जमाने में
मानो गरीब का चन्दा था।।

तब तक मरता ही रहा
जब तक मै जिंदा था,
इस उम्मीद- ए- जहां का
मै एक मासूम परिंदा था।।
AK

by Anuj

शिकवा

August 22, 2020 in शेर-ओ-शायरी

शिकवा है मुझे उससे, जिसने लिखी हैं अधूरी कहानियां,
क्यों कराया था मिलन, गर परवान- ए- मोहब्बत की औकात ना थी।
AK

by Anuj

तेरी अदा

August 21, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

सावन की बदरी सी बरसी
जो तेरे जुल्फो से बूंदे,
कच्चे मकां सा मेरा
ये दिल ढह गया।।

मदिरा के जाम सी छलकी
जो तेरी आंखों से मस्ती,
शराबी सा बदन मेरा
ये झूमता ही रह गया।।

पूनम के चांद सी बिखरी
जो तेरे होठों से मुस्कान,
गहरे समुंद्र सा मै
लहरों में बदल गया।।

स्वर्ग की अप्सरा सी निखरी
जो तेरी हर एक अदा,
जब भी देखा बस
देखता ही रह गया।।

किस- किस अदा का तेरी
जिक्र मै करूं,
एक – एक अदा पे तेरी
मै कईं बार मर गया।।
अनुज कौशिक

by Anuj

जिंदगी और मौत

August 16, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

हालत कुछ आज ऐसी बनी
चलती जिंदगी से मौत उलझ गई,
अकड़ कर वो कुछ यूं खड़ी
मानो जिंदगी से बड़ी हो गई।।

ऐ मौत, यूं ना तू मुझपे अकड़
बाकी है मेरी अभी सांसो पे पकड़
ना एक कदम जिंदगी पीछे हटी
मौत भी खड़ी गुर्राती गई।।

ना सांसे तेरी अपनी होंगी
जिस दिन वक़्त मेरा आएगा,
ऐ जिन्दगी, तू याद रखना
तूझपे मेरा एक वार बाकी है।।

लोगो के दिलो मै अभी
मेरे हिस्से का प्यार बाकी है,
माना वक़्त आएगा तेरा एक दिन
पर मेरा तो अभी दौर बाकी है।।

यूं डट कर लडी आज जिंदगी
हारती हुई मौत चली गई,
हालत कुछ आज ऐसी बनी
चलती जिंदगी से मौत उलझ गई।।
AK

by Anuj

जिंदगी और मौत

August 16, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

हालत कुछ आज ऐसी बन गई
चलती जिंदगी से मौत उलझ गई,
अकड़ कर वो कुछ यूं खड़ी
मानो जिंदगी से बड़ी हो गई।।

ऐ मौत, यूं ना तू मुझपे अकड़
बाकी है मेरी अभी सांसो पे पकड़
ना एक कदम जिंदगी पीछे हटी
मौत भी खड़ी गुर्राती गई।।

ना सांसे तेरी अपनी होंगी
जिस दिन वक़्त मेरा आएगा,
ऐ जिन्दगी, तू याद रखना
तूझपे मेरा एक वार बाकी है।।

लोगो के दिलो मै अभी
मेरे हिस्से का प्यार बाकी है,
माना वक़्त आएगा तेरा एक दिन
पर मेरा तो अभी दौर बाकी है।।

by Anuj

दिल और कलम

August 15, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

दिल और कलम,
कलम कह रही है आज ,कि मोहब्बत पे किताब लिखूं।
दिल चाहता है मगर कि,मै गम बेशुमार लिखूं।।

कुछ यूं है दलील- ए- कलम ,मोहबब्त लिखे बीते हैं बरस।
दिल कहे कर ये रहम-ओ-करम,यूं ना छिड़क तू जले पे नमक।।

ऐ दिल, क्यूं जाता है वहां,जहां मिले हैं इश्क़ मे गम।
मिलेगी तुझको वहां मोहब्बत,क्यों है फिर भी ये भ्रम।।

ऐ कलम, जरा इज्जत से बात कर,मेरी मोहब्बत यूं ना बदनाम कर।
की है मोहब्बत,जख्मों से क्यूं डरूं,इन गमो को भी, मै उपहार लिखूं।।

कैसे करूं मै फैसला,और किसकी आज सुनूं।
लिख डालूं मोहब्बत पे किताब,या गम पे उपन्यास लिखूं।।

कलम कह रही है आज, कि मोहब्बत पे किताब लिखूं।
दिल चाहता है मगर कि,मै गम बेशुमार लिखूं।।
AK

by Anuj

इंदौरी सर को समर्पित

August 12, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

इंदौरी जी को समर्पित:-

कुछ हस्तियों के फसाने
बरकरार रहते हैं,
कुछ किरदारों के किस्से
बेशुमार होते हैं।

आसमां में ही नहीं होते
तारे सभी,
कुछ सितारे धरती को भी
नसीब होते हैं।।

इंदौरी जी🙏🙏🙏🙏🙏🙏
भगवान उनकी आत्मा को शान्ति से।।

by Anuj

मै और मेरी मां

August 10, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

मै और मेरी मां
तेरा ये शहर जाना,मुझे बीमार कर गया,
वेद ने लिखा औषधि में,तेरा दीदार चाहिए।।
अधूरा सा ही हूं, मै भी तेरे बिन,
पर इस जिंदगी को मां,थोड़ा मुकाम चाहिए।।

मुकाम भी मिलेगा तुझे, ये दुआ है मेरी, मुझे भी
इस मुकाम का जल्द, पैग़ाम चाहिए।।
तेरी दुआओ का ही बस, सहारा है मां,
सहारे को ना मुझे कोई, और नाम चाहिए।।

ठीक हूं मै, पर,, जल्द लौट आना तू
मुझे भी अब सहारे को, हाथ चाहिए।।
जल्द ही आऊंगा मां, जन्नत से तेरे चरणों में,
इस कान्हा को भी मां यशोदा, का प्यार चाहिए।।
AK

by Anuj

तीसरी मुलाक़ात

August 10, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

तीसरी मुलाक़ात
दूजी मुलाक़ात जब से हुई
जज्बातों में चिंगारी सुलग रही,
बाट बेसब्री से जिसकी जोह रहे
घड़ी आखिर वो आ ही गई।।

वक़्त से पहले हम पहुंचे
वो भी वक़्त पर आ गए,
फूल गुलाब का हम लिए
खुशबू वो भी महका रहे।।

मुस्कान और गुलदस्तों के तो
दिखावे को आदान – प्रदान हुए,
हकीकत में आज एक – दूजे का
दिल हम दोनों चुरा लिए।।

बातें चंद फिर भी आज
2 घंटे की मुलाक़ात हुई,,
एक दूजे को समझने की
यहीं से बस शुरुवात हुई।।

आगे ना अब गिनती होगी
इस कहानी में मुलाकातों की,
दो दिलों में प्रेम की बातें
कुछ यूं सिलसिलेवार हुई।।

कहानी बन गई आज प्रेम कहानी
और खत्म ये तीसरी मुलाक़ात हुई।।
AK

“पहली मुलाक़ात” और “दूसरी मुलाक़ात” का लुफ्त मेरी प्रोफ़ाइल पर जाकर लें।

by Anuj

मै और तुम

August 9, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

था आंखों मै तेरी जादू
या नज़रों का मेरी कसूर था।
हां मेरे दिल ने तुम्हें चाहा
पर तुमको भी ये मंजूर था।।

गुमशुदा गर मै हुआ कभी
तो , वो तुम्हारा ख्याल था।
तुम्हारे चेहरे की हर हंसी पर
बस मेरा ही तो नाम था।।

हां दोनों थे नादान तब
हर ग़म हमसे अंजान था।
बचपन था वो बड़ा हसीन
खुशियों भरा जहान था।।

मिलते रहेंगे ये वादा करके
तब छूटा हर जज़्बात था।
अपने अपने सपनो के लिए
फिर टूटा साझा ख्वाब था।।
AK

by Anuj

दूसरी मुलाक़ात

August 8, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

पहली मुलाक़ात थी अधूरी सी
दूजी को हम तरस रहे,
भूल ना रहे उन लम्हों को
बादल प्रेम के उमड़ रहे।।

भूखे- प्यासे हम भटक रहे
आंखों में उनकी तस्वीर लिए,,
उनका नाम, न ठिकाना जाने
फिर भी दिन उनके नाम किए ।।

दिल बहलाने को फिर एक दिन
यूं ही लाइब्रेरी में प्रवेश किए,
किताबें प्रेमचंद्र की वो ढूंढ़ रहे
हम अपने प्रेम को तलाश लिए।।

मुस्कराकर फिर कुछ बातें हुई
और एक – दूजे के नाम मिले,
ज्योंहि अगले मिलन के वादे हुए
मानो सूखे में बदल बरस पड़े।।

इस मिलन से ही फिर
कहानी में नई शुरुवात हुई,
दो दिलों की फिर यूं
ख़त्म दूसरी मुलाक़ात हुई।।

अनुज कौशिक
अगर आपने “पहली मुलाक़ात” नहीं पढ़ी तो मेरी प्रोफ़ाइल पर को भी पढ़ें।

by Anuj

कॉलेज के दिन

August 7, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

वो वक़्त जब कॉलेज में थे,
तुम मिलने आया करते थे।
कहते थे बस दोस्त रहेंगे,
कॉफी साथ पिया करते थे।

कहते थे तुम प्यार मत करना
बातें रातभर किया करते थे।
दोस्तों को अक्सर छोड अकेले
दूर निकल जाया करते थे।

क्या था ये रिश्ता हमारा
ना नाम बताया करते थे,
हॉस्टल से निकल फिर भी
हम शाम बिताया करते थे।

वक़्त बीता, तो हम पर तुम
अपना हक जताया करते थे,
वो वक़्त जब कॉलेज में थे
तुम मिलने आया करते थे।
अनुज कौशिक

by Anuj

पहली मुलाक़ात

August 6, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

पहली मुलाक़ात
अनजाने में कुछ यूं टकराए,
किताबे भी हमसे दूर गई।
दो मासूम दिलो की ऐसी,
वो पहली मुलाक़ात हुई।।

सॉरी जो हमने बोला तो,
एक ओर सॉरी की आवाज हुई।
किताबो को समेटने की,
मुस्कराकर फिर शुरूआत हुई।।

उन लम्हों को हम समेट रहे ,
किताब समेटने की आड़ में।
दिल समेटने की फिर भी,
हर कोशिश बेकार हुई।।

किताबें समेटकर तुम उठे
पर खुद को ना यूं समेट सके।
शरमाती हुई नज़रों से फिर
एक और मिलन की चाहत हुई।।

दो मासूम दिलो की ऐसी,
वो पहली मुलाक़ात हुई।।
AK

by Anuj

जय श्री राम

August 5, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

श्री राम का जहां जन्म हुआ
मंदिर वहीं बनाएंगे।
दुश्मनों के सीने पर हम
ध्वज भगवा फहराएंगे।।

बचपन बीता जहां आराध्य का
वहीं पूजन उनका कराएंगे।
मान रखा जहां पिता वचन का
मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा वहीं कराएंगे।।

बाबर फिर कोई नजर उठाए
तो सर वहीं गिराएंगे।
प्रभु की सेवा को फिर
भक्त श्री राम के आएंगे।।

सूर्य भी रुककर देखेगा
भव्य दृश्य मंदिर निर्माण का।
धन्य हो प्रभु दर्शन से
फूल देवगण बरसाएंगे।।

जन्म हुआ जहां श्री राम का
मंदिर वहीं बनाएंगे।।
जय श्री राम

by Anuj

वो कॉलेज के दिन

August 1, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

वो वक़्त जब कॉलेज में थे,
तुम मिलने आया करते थे।
कहते थे बस दोस्त रहेंगे,
कॉफी साथ पिया करते थे।

कहते थे तुम प्यार मत करना
बातें रातभर किया करते थे।
दोस्तों को अक्सर छोड अकेले
दूर निकल जाया करते थे।

क्या था ये रिश्ता हमारा
ना नाम बताया करते थे,
हॉस्टल से निकल फिर भी
हम शाम बिताया करते थे।

वक़्त बीता, तो हम पर तुम
अपना हक जताया करते थे,
वो वक़्त जब कॉलेज में थे
तुम मिलने आया करते थे।
अनुज कौशिक

by Anuj

मेरे लफ्ज़

August 1, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

कैसे और किससे करें
हम जिक्र ए गम,
लफ़्ज दबे बैठे हैं,
उनको भी है ये भ्रम।।

सुनने को कोई उनको
शायद ही यहां रुकेगा,
कोई तो सुनके उनको
फिर से अनसुना करेगा।।

लफ्ज़ आ रहें जुबां पर,
कहने दास्तां ए गम
फिर दुबक रहे दिल में
कि कोई पढ़ लेे यें आंखे नम।।

इंतहा मेरे लफ़्ज़ों की
मेरे गम यूं ना देख,
देख जख्मी दिल को मेरे
ये झुठी मुस्कराहट तू ना देख।।

तोड़कर हर बंदिश को मेरी
तब लफ्ज़ कहेंगे ये गम,
दास्तां को यूं बयां करने में
जब शब्द पड़ने लगेंगे मेरे कम।।

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