लतड़ पतड़ स्यां स्यां (गढवाली हास्य)

October 25, 2020 in Other

लतड़ पतड़ स्यां स्यां
बल लतड़ पतड़ स्यां स्यां
हाई रे मेरी फ्वां फ्वां

नोना बेरोजगार छन
अभी नि आई कालो धन
लतड़ पतड़ स्यां स्यां
बल लतड़ पतड़ स्यां स्यां

मंत्री जी की गाडी बल
दिनी छाई फुल होरन
सड़की मा बल क्वी नि घूमा
साइड दी दिया तुम फ़ौरन

लतड़ पतड़ स्यां स्यां
बल लतड़ पतड़ स्यां स्यां
हाई रे मेरी फ्वां फ्वां

कुर्सी मा बिराजमान
उत्तराखंड का बड़ा पधान
दारू की फ़ैक्टरी लागली
जनता को बल कुञ्ज घाण

लतड़ पतड़ स्यां स्यां
बल लतड़ पतड़ स्यां स्यां
हाई रे मेरी फ्वां फ्वां

छुटी गयी घर बार
अभी तक नि आई रोजगार
कैसे आस लगोली जनता
चुपचाप स्यूणी अत्याचार

लतड़ पतड़ स्यां स्यां
बल लतड़ पतड़ स्यां स्यां
हाई रे मेरी फ्वां फ्वां

सरहद का रखवाला

October 22, 2020 in Poetry on Picture Contest

हम सरहदों पर रहते हैं
आज ज़माने से ये कहते हैं
भारत माता के वीर सभी हम
हमको सभी सरहद का रखवाला कहते हैं।

है अगर हिम्मत किसी दुश्मन में
तो आकर टक्कर ले हमसे
हम भारत को अपने दिल में रखते हैं
जज्बा-ए-हिन्दोस्तान लोग इसको कहते हैं।

कोई नापाक कदम न आने देंगे इस धरा पर
हम आज सर पे कफ़न बाँध कर ये कहते हैं
दुश्मन कितना ही शातिर क्यों न हो
उसको धुल चाटने की हिम्मत हम रखते है।

हम सरहदों पर रहते हैं
आज ज़माने से ये कहते हैं
भारत माता के वीर सभी हम
हमको सभी सरहद का रखवाला कहते हैं।

कोई लाख भेजे दुश्मन मेरे वतन के लिए
अपनी जान पर खेल कर उनसे लड़ने की ताक़त हम रखते हैं
मेरा वतन मेरा हिन्दोस्तान सदा खुश रहेगा
माँ भारती की कसम हम लेते है।

हम सरहदों पर रहते हैं
आज ज़माने से ये कहते हैं
भारत माता के वीर सभी हम
हमको सभी सरहद का रखवाला कहते हैं।

धर्मु झांझी (गढवाली हास्य)

October 21, 2020 in Other

कोराना से बल सबुकी हालत पस्त हुयीं च
देश की अर्थब्यवस्था की भी हालत खस्त हुईं च
रोजी रोटी कु जुगाड़ ह्वो न हो पर,
दरोल्यों की एसूं दों बल फ्वां फ्वां हुयीं च
सरकिर की भल मनसा ह्वो न ह्वो पर एक बात त
100% च कि
धर्मुं झांझी बल देश की अर्थब्यवस्था की नींव बण्यूं च।।

सपने

October 21, 2020 in Other

कौन कहता है कि अपने उज्जल भविष्य हेतु सपने देखना या कल्पना करना गलत है?
सपने देखो और जरूर देखो, अपपे उज्जवल भविष्य की कल्पना करो और ऐसी कल्पना करो जो दूसरों को तो क्या बल्कि आपको खुद को असम्भव प्रतीत होती हो।।
और कठिन प्रयास से उस असम्भव को सम्भव करके दिखा देना।।
लेकिन आपने क्या सपना देखा है या क्या कल्पना की है यह तब तक किसी को न बताना जब तक आपका सपना हकीकत मे न बदल जाए।।
क्योंकि यहां लोग आपके सपनों को साकार न होने देने का षड्यंत्र ज्यादा रचेंगे बजाय इसके कि आपका वह सपना सफल हो।।

शायरी (गढवाली हास्य)

October 21, 2020 in शेर-ओ-शायरी

हमें तो गंज्यालों से कूटा गया
सुल्याठों में कहां दम था।।

मेरा खुट्टा तो रड़ा वहाॅ
जहाॅ कच्यार कम था।।
😃😃😃😃😃😃😃😃

रण शंख का अब नाद हो

October 20, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

प्रज्वलित ज्वाला हुई है
रण शंख का अब नाद हो
शत्रु जो पुलकित हुआ है
उसका करो अब नाश तुम।

न रोको अभी तुम भावना को
रक्त का उबाल थमने से पहले
दुश्मन को पंहुचा दो काल के उस गार में
प्रज्वलित ज्वाला हुई है रण शंख का अब नाद हो।

वो हमारी भावना को विवशता कहते रहे
उनके दिए हर जख्म को, हमने सदा हंसकर सहे
पर वक़्त है बदलाव का, और आंधी भी अब आयी है
देश के दुश्मन की चालें, इस मूड पर हमको ले है।

तुम दिखा दो रास्ता, उसको काल के गार का
नापाक उसकी हरकतों पर, अब अभी अंकुश लगे
रण भेदियों के नाद को, टोको नहीं टोको नहीं
माँ भर्ती के वीर है, उनको अभी रोको नहीं।

दुश्मनो की हरकतों का, अब उन्हें ईनाम दो
यह वक़्त है बदलाव का, रण शंख का अब नाद हो
उन शहीदों की आत्मा को, दो यही श्रद्धांजलि
दुश्मन की सांसे छीन लो, दुश्मन की सांसे छीन लो।

प्रज्वलित ज्वाला हुई है,रण शंख का अब नाद हो
शत्रु जो पुलकित हुआ है,उसका अब बस शर्वनाश हो।

प्रेम का पहला खत

October 16, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

नाराज न होना खत को पढ़कर, न जानू मैं खत को लिखना।
बस आपके खातिर लिख डाला, यूॅ न हँस देना खत को पढ़कर।
कुछ शब्द चुनिंदा लिये हुए, कुछ खुशबु फूलो की लेकर यह कलम तुम्हारी तारीफों के गुण लिखती है हल्के-हल्के।
मैं सावन वाला गीत लिखूॅ या बरसात का कोई राग लिखूॅ इस कलम प्रज्जवलित ताकत से मैं प्रेम प्रदर्शी राग लिखूं। नाराज न होना खत को पढ़कर, न जानू मैं खत को लिखना।
बस आपके खातिर लिख डाला, यूॅ न हँस देना खत को पढ़कर।
मन मैं उमंग और तरंग लिये लिखता हूॅ खत मैं तुम्हे प्रिये, जो पढ़ते-पढ़ते इस खत को मेरी सूरत इसमें आ जाये, तो अपनी कोमल पलकों से
मुझको आँखों मैं भर लेना
मुझको आँखों मैं भर लेना

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