नमन करो उन वीरों को

August 9, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

शहीदों को नमन
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नमन करो उन वीरों को
जिनसे से यह देश हमारा है
उनके साहस के दम पर
महफूज घरों में रहते हैं ।
उन वीरों के दम से अपनी
होली और दिवाली है
मावस की काली रातें
उनके दम से उजियाली हैं
उनको अपनी मातृभूमियह प्राणों से भी प्यारी है
सीमाओं पर बनकर प्रहरी
शेर शूरमा तने हुए ।
राष्ट्र प्रेम की खातिर अपना
वो सर्वस्व लुटाते हैं
मातृभूमि की रक्षा हेतू
अपनी जान गंवाते हैं
तन मन धन से सैनिक अपना पूरा फर्ज निभाते हैं
उनकी घोर गर्जना से दुश्मन भी थर्रा जाते है
उन वीरों की विधवाएँ
चुप चुप रह कर सब
सहती हैं
श्रृंगार शहीद हुआ उनका
बिन चूड़ी कँगन रहती हैं
गोदी के बच्चों को चिता में
अग्नि देनी पड़ती है
दरवाजे पर बैठी माता उनकी राहें तकती है
थाल सजाकर बहना राखी
पर छुप छुप कर रोती है
कितना भी कह लूँ यह
गाथा खत्म न होने वाली है
मातृभूमि के काम ना आये
वो बेकार जवानी है
आओ मिल कर नमन करें
उन माँ के राज दुलारों को
राष्ट्र प्रेम के लिए प्राण देने
वाले उन वीरों को ।।

जय हिंद जय भारत
– कमलेश कौशिक

ज्ञान दीप प्रज्ज्वलित करके

August 9, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

***†**†*ज्ञान दीप प्रज्ज्वलित करके
उजियारा कर दें हर और
रोशन हो जाएं सब राहें
ऐसा फैला दें आलोक।
आतंकवाद बढ़ गया धरा पर ।
आतंकित है हर प्राणी
धरती से अम्बर तक अब तो
आतंकवाद का फैला शोर
ज्ञानदीप प्रज्ज्वलित करके
उजियारा कर दें हर और
रोशन हो जाएं***
ऋषियों की है वसुंधरा यह
भूल गया क्यों मानव आज
अस्थि देकर दान यहीं पर
लिखा दधीचि ने इतिहास

घूम घूम घर घर गौतम ने
दिया जगत को ज्ञान प्रकाश ।
प्राण जाएं पर वचन ना
जाईं ।
यही हमारा नारा था
सत्य अहिंसा न्याय नीति
का मेरा देश पुजारी था
भूल गया क्यों राह सत्य की
फ़ैल गई हिंसा हर और
ज्ञानदीप प्रज्ज्वलित करके
उजियारा करदें***

भीम और अर्जुन से योद्धा
इसी धरा पर जन्मे थे ।
श्री कृष्ण ने अर्जुन को यहाँ
ज्ञान दिया था गीता का
याद करो उस भीष्म को
तुम क्यों भूल हो उनका
त्याग
पिता की खुशियों की। खातिर खुद की खुशियाँ
कर दी कुर्बान
इन सब की तू याद दिलाकर
प्यार बाँट जग में हर और
ज्ञान दीप प्रज्ज्वलित करके
उजियारा कर दें हर ओर
रोशन हो जाएं सब राहें
ऐसा फैला दें आलोक

– कमलेश कौशिक

काँटों से घिरे चमन में

August 7, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

काँटों से घिरे चमन में
खुश्बू की तमन्ना न कर

रात के घने अंधेरों में
रौशनी की तमन्ना ना कर

– कमलेश कौशिक

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