हम खुद काम जल्दी कराने के लिये रिश्‍वत देते है

February 12, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

“हम खुद काम जल्दी कराने के लिये रिश्‍वत देते है

फिर देश मे भ्रष्‍टाचार बहुत है ये सोच कर हमे बुरा क्यो लगता है………….

हम होटलो मे बढी ही शानसे छुटु को आवाज़ देते है

फिर बाल मजदूरी की बात करते समय हमे बुरा क्यो लगता है………….

हमने कभी अपने एरिया , मोहल्ले,कॉलोनी की सफाई के बारे मे नही सोचा

तो स्‍वछता रॅंकिंग मे हमारा शहर पीछे है ये जानकर हमे बुरा क्यो लगता है………….

हमने कभी सामने हो रही छेढ़ खानी का विरोध नही किया,

तो देश मे महिलाये सुरक्षित नही है ये बोलते समय हमे बुरा क्यो लगता है………….

हमने कभी पुलिस की किसी केस को सुलझाने मे मदद नही की,

फिर यहाँ इंसाफ नही मिलने पर हमे बुरा क्यो लगता है………….

हमने कभी नियमो की परवाह नही की,

फिर यहाँ कोई अनुशासन नही है,इस बात से हमे बुरा क्यो लगता है………….

हमने कभी चुनाव वाले दिन को एक छुट्टी से ज्यादा कुछ नही समझा,

तो राजनीति का हाल बहुत खराब है, इस विचार से हमे बुरा क्यो लगता है………….

एक मोबाइल लेते समय इतना सोचते है,और देश से जुढ़े मसलो मे कभी एक मिनिट भी सोचने की ज़रूरत महसूस नही की,

फिर देश की सरकार कुछ नही सोचती ये हमे बुरा क्यो लगता है………….

हमने कभी देश के लिये कुछ करना नही चाहा ,

फिर चाय के स्टॉल पर ये कहते समय की इस देश का कुछ नही हो सकता हमे बुरा क्यो लगता है………….