स्कूल के दिन

May 8, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

बहुत याद आते हैं वो दिन
जब हम भी स्कूल जाते थे
पीठ पर बस्ता, गले में बोतल
खेलते- कूदते पहुँचते थे।

कक्षा की वो प्रिय अध्यापिका
प्यार से हमको पढ़ाती थीं
जब भी कुछ न आये समझ तो
प्यार से पुनः दोहराती थीं।

लंच से पहले , लंच कर लेना
कैंटीन से फिर पेटीज़ लेना
साथ में मिल बाँट के खाना
रोज की आदत हमारी थी।

एक दूजे का हाथ थामकर
छुट्टी में फिर दौड़ लगाना
कदम से कदम मिलाकर रखना
हम दोस्तों की आदत थी।

एक माँ ही तो है

May 8, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

एक माँ ही तो है
जिसने मुझसे और मैंने उससे
बिना एक दूजे को देखे बेपनाह प्रेम और साथ निभाया है।

एक माँ ही तो है
जिसने मेरे बिना कुछ बोले मेरी हर एक बात को समझ अपनाया है।

एक माँ ही तो है
जिसने हर पल मुझे सबकी बुरी नज़रों से तिलक लगाकर बचाया है।

एक माँ ही तो है
जिसने मुझे तपती धूप में भी भोजन बनाकर मेरा पेट भरवाया है।

एक माँ ही तो है
जिसने हर पल, हर क्षण मेरा साथ बिना किसी स्वार्थ निभाया है।

एक माँ ही तो है
जिसने मुझे इस जीवन में लाकर मुझे ये दुनिया देखने का अवसर दिलवाया है।

एक माँ ही तो है
जिसने हर तकलीफ से मुझे निकलने का सही मार्ग दिखलाया है।

एक माँ ही तो है
जिसने मुझ पर हमेशा ही आँख मूँद कर विश्वास अपना जताया है।

एक माँ ही तो है
जिसने मुझे संस्कारों की छाँव में पाल पोस एक अच्छा नागरिक बनाया है।

एक माँ ही तो है
जिसने कभी न हार मानने की सीख दे कोशिश करना सिखलाया है।

एक माँ ही तो है
जिसने कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी डट कर खड़े रहना बतलाया है।

एक माँ ही तो है
जिसने अपना सम्पूर्ण जीवन अपने बच्चों और परिजन पर न्योछावर कर डाला है।

एक माँ ही तो है
जिसके होने से हमसे इस जग में अपना नाम कमाया है, अपना नाम कमाया है, अपना नाम कमाया है।

शब्द

May 7, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

शब्दों में भी कितना जादू है
चाहे तो किसी को अपना बना ले
चाहे तो इन्ही से बाण चला दे।।

जिंदगी

May 7, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

कितनी तेज़ हो गई जिंदगी
कितनी आगे निकल रही है
चिट्टी पत्री के झंझट से निकल कर
व्हाट्सअप, फेसबुक में आ गई है।

जिंदगी

May 7, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

कितनी तेज़ हो गई जिंदगी
कितनी आगे निकल रही है
चिट्टी पत्री के झंझट से निकल कर
व्हाट्सअप, फेसबुक में आ गई है।

भारत हो खुशहाल

March 10, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

न ही उठानी है तलवार
न ही उठाना है हथियार
उठानी है बस हाथ में झाड़ू
जिससे भारत हो खुशहाल

न ही थूकना दीवारों पर
न कूड़ा फेंकना इधर उधर
कूड़ेदान का उपयोग खुद करके
दूसरों को भी कहो हर बार

देख विदेश की सुंदरता को
चमक जाती है आँखे तुम्हारी
क्यों नही हाथ बढ़ाते अपना
स्वच्छ भारत के अभियान में आप

देख गन्दगी करते सब छी छी
क्यों नही सुधर सकते हम आप
फेके खुद भी कूड़ा कचरे में
दूसरों को भी टोकें आप

हर घर में शौचालय बनवाओ
और उसका उपयोग कराओ
न ही इधर उधर तुम जाओ
शौचालय को उपयोग में लाओ

जहाँ भी जाओ स्वच्छता फैलाओ
स्वच्छता संबंधित ज्ञान फैलाओ
स्वच्छ रहेंगे तंदरुस्त रहेंगे
दिल दिमाग भी स्वस्थ ही पाओ

जितना स्वच्छ भारत होगा
उतनी ही होंगी बीमारी कम
बजट भी आपका सम्भला होगा
स्वच्छ भारत के अभियान से आज

इन्हीं कुछ छोटे छोटे कर्मों से
देश को हम सब स्वच्छ बनाएं
सारे जहाँ से अच्छा
हिंदुस्तान अपना कहलवाएं।।

गणतंत्र दिवस है देखो आया

January 25, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

गणतंत्र दिवस है देखो आया
झंडा हम फहरायेंगे
अपने शहीदों को याद कर
श्रद्धा सुमन चढ़ाएंगे
गणतंत्र दिवस…..
अपने देश में भारत माँ के
नारे हम लगाएंगे
शहीदों की बलिदानी को
बच्चों को बतलायेंगे
गणतंत्र दिवस …….
26 जनवरी 1950 को
गणराज्य हमारा लागू हुआ
संविधान में अधिकार को पाकर
कर्तव्यों का साथ निभाएंगे
गणतंत्र दिवस…….
प्रथम बार जब राजेंद्र जी ने
झंडा जो फहराया था
गौरवान्वित हुआ था भारत
वैसे ही हम भी मनाएंगे
गणतंत्र दिवस ……..
इस बार हम 68वां
गणतंत्र दिवस मनाएंगे
सारे देश मे गणराज्य का
डंका हम बजायेंगे
गणतंत्र दिवस……..।।

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