
सावन
पुस्तक समीक्षा: ‘इंतज़ार – काव्य संकलन’
October 1, 2025 in पुस्तक समीक्षा
‘इंतज़ार’ कवि पन्ना की एक मर्मस्पर्शी और गहन भावनात्मक यात्रा पर ले जाने वाली काव्य पुस्तक है। यह संग्रह न केवल कवि के व्यक्तिगत अनुभवों, बल्कि सामाजिक विसंगतियों, टूटे सपनों, और एक बेहतर कल की आस को भी बखूबी चित्रित करता है।

भाषा-शैली:
इस पुस्तक की सबसे बड़ी ताकत इसकी भाषा है। हिंदी और उर्दू का सुंदर सम्मिलन पाठक को शायराना अंदाज़ में बांधे रखता है। ‘रवानिया’, ‘शम्मा’, ‘अश्क-ए-रवाँ’ जैसे शब्द कविताओं को एक अलग ही मिठास और गहराई प्रदान करते हैं। कवि ने अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बावजूद, शायरी के प्रति अपने प्रेम और अपनी भावनाओं को बेहद खूबसूरती से शब्दों में ढाला है।
विषय-वस्तु:
जैसा कि नाम ‘इंतज़ार’ से ही स्पष्ट है, यह संग्रह प्रतीक्षा की विभिन्न परतों को खोलता है। यह इंतज़ार किसी इंसान का, प्यार का, न्याय का, या फिर जीवन में आने वाली एक नई सुबह का हो सकता है। कवि ने मुखौटों के पीछे छिपे असली चेहरे, सामाजिक अन्याय, गरीबी, और टूटते रिश्तों जैसे गंभीर विषयों को भी बहुत ही संवेदनशील तरीके से छुआ है। कहीं-कहीं तीखा व्यंग्य भी है, जो पाठक को सोचने पर मजबूर कर देता है।
कुछ विशेष पहलू:
- भावनाओं की गहराई: ‘इक मुखौटा’, ‘अब कहाँ वो मैं’, ‘जिंदगी अंधेरों में’ जैसी कविताएं पाठक के दिल को छू लेती हैं।
- सामाजिक सरोकार: ‘शजर सूखा है’ और ‘अंधेरी बस्ती में’ जैसी रचनाएं समाज के उपेक्षित वर्ग की पीड़ा को बयां करती हैं।
- प्रेम और विरह: प्यार की तड़प, बिछड़ने का दर्द और यादों का एहसास पूरी किताब में बिखरा हुआ है।
निष्कर्ष:
‘इंतज़ार’ सिर्फ एक कविताओं का संग्रह नहीं, बल्कि एक ऐसा आईना है जो हमारे आसपास की दुनिया और हमारे अपने भीतर के संघर्षों, आशाओं और जज़्बातों को दर्शाता है। यह उन पाठकों के लिए एक उत्कृष्ट पठन है जो गहन, संवेदनशील और विचारोत्तेजक शायरी का आनंद लेना चाहते हैं। उरी की यह पहली पेशकश निश्चित रूप से एक शानदार शुरुआत है और हिंदी-उर्दू काव्य जगत में एक सार्थक हस्तक्षेप है।
रेटिंग: 4/5 ⭐⭐⭐⭐
दिल ना-उमीद तो नहीं नाकाम ही तो है
May 17, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता
हम पर तुम्हारी चाह का इल्ज़ाम ही तो है
दुश्नाम[1]! तो नहीं है ये इकराम[2] ही तो है
करते हैं जिस पे ता’न[3], कोई जुर्म तो नहीं
शौक़े-फ़ुज़ूलो-उल्फ़ते-नाकाम ही तो है
दिल मुद्दई के हर्फ़े-मलामत[4] से शाद है
ऐ जाने-जाँ ये हर्फ़ तिरा नाम ही तो है
दिल ना-उम्मीद तो नहीं, नाकाम ही तो है
लंबी है ग़म की शाम, मगर शाम ही तो है
दस्ते-फ़लक[5] में, गर्दिशे-तक़दीर तो नहीं
दस्ते-फ़लक में, गर्दिशे-अय्याम ही तो है
आख़िर तो एक रोज़ करेगी नज़र वफ़ा
वो यारे-ख़ुशख़साल[6] सरे-बाम ही तो है
भीगी है रात ‘फ़ैज़’ ग़ज़ल इब्तिदा करो
वक़्ते-सरोद[7], दर्द का हंगाम ही तो है
– फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
शब्दार्थ
- ↑ गाली
- ↑ कृपा
- ↑ व्यंग्य
- ↑ निंदा का शब्द
- ↑ आसमान का हाथ
- ↑ अच्छे गुणों वाला यार
- ↑ गाने का वक़्त
प्रज्ञा जी की कविता ‘वनिता’ को प्राप्त हुई सराहना
September 9, 2020 in Other
हाल ही में प्रज्ञा जी की कविता ‘वनिता’ को प्रेस में काफ़ी सराहना मिली। सावन परिवार प्रज्ञा जी के लिये कामना करता है कि उनको काव्य की दुनिया में हर दिन नई ऊंचाई और दिशा मिले।
सतीश पांडे जी को प्रेस विज्ञप्ति के लिये बधाई
September 6, 2020 in Other
हाल ही में सतीश पांडे जी को अगस्त माह में आयोजित काव्य प्रतियोगिता में किये गये सर्वश्रेष्ट प्रदर्शन के लिये ‘अमर उजाला’ और ‘शाह टाइम्स’ ने अपने अखबार में स्थान देकर सम्मानित किया।
सावन परिवार उनकी प्रतिभा और प्रदर्शन की तहे दिल से तारीफ़ करता है और योगदान के लिये आभार व्यक्त करता है।


आलोचक के गुण
September 3, 2020 in Other
किसी भी आलोचक के लिए सबसे अहम उसका आलोचनात्मक विवेक होता है | इस गुण के बिना आलोचक कवि या काव्य की आत्मा में प्रवेश ही नहीं कर सकता है | आचार्य राम चन्द्र शुक्ल के शब्दों में आलोचक में ‘कवि की अंतर्वृतियों के सुक्ष्म व्यवच्छेद की क्षमता होनी चाहिए | चुकि किसी भी रचना की तरह आलोचना भी पुनर्रचना होती है | अतः जिस भाव-भंगिमा, मुद्रा और तन्मयता के साथ कवि ने अपने काव्य की रचना की है, उसमें उतनी ही संवेदनशीलता और सहानुभूति के साथ प्रवेश कर जाने वाला पाठक ही सच्चा आलोचक होता है |
आलोचक का दूसरा महत्वपूर्ण गुण सहृदयता है | आलोचक के अन्य गुण उसकी सहृदयता के होने पर ही सहायक हो सकते है | सहृदय होकर ही आलोचक किसी रचना से रचनाकार की समान अनुभूति से जुड़ सकता है | समीक्षक को आलोच्य रचना या कृति के उत्कृष्ट या मार्मिक स्थल की पहचान कर उसको प्रमुखता देना चाहिए । अर्थात् आलोचक में सहानुभूतिपूर्ण दृष्टिकोण होना चाहिए |
इन अनिवार्य गुणों के अतिरिक्त आलोचक में निष्पक्षता, साहस, इतिहास और वर्तमान का सम्यक ज्ञान, संवेदनशीलता, अध्ययनशीलता और मननशीलता भी होनी चाहिए | निष्पक्षता से तात्पर्य यह है कि आलोचक को अपने आग्रहों से मुक्त होना चाहिए |
आलोचक के आग्रह, अहम या उसकी इच्छाएं और भावनाएँ निष्पक्ष आलोचना में बाधा बनती है | किसी भी रचना के मूल्यांकन में अपनी बातों को तर्कसंगत और तथ्यपरक ढंग से रखना आलोचक के लिए आवश्यक है , भले ही उसकी स्थापनाएँ पूर्व स्थापित मान्यताओं और सिद्धांतों के प्रतिकूल क्यों न पड़ती हो | ऐसी स्थापनाओं के लिए आलोचक में व्यापक अध्ययन एवं देशी-विदेशी साहित्य और कलाओं का ज्ञान आवश्यक है |
इसके साथ ही अतीत की घटनाओं, परिस्थितियों और परम्परा एवं वर्तमान के परिवेश का सम्यक ज्ञान होना चाहिए | तभी वह रचना की युगानुकूल व्याख्या कर सकता है । वर्तमानता या समकालीनता से जुड़कर ही कोई आलोचक अपनी दृष्टि को अद्यतन बनाये रखता है | इसके बजाय विदेशों के समीक्षा ग्रंथों से उद्धरण देकर वाम विदेशी समीक्षकों के नाम गिनकर पाठकों को कृति से मुखातिब कराने के स्थान पर उनपर अपने पांडित्य की धाक जमाने की कोशिश आलोचक का गुण नहीं है | आलोचक को किसी सामान्य तथ्य या तत्व तक पहुँचने की जल्दबाजी नहीं होनी चाहिए बल्कि रचना के अक्षय स्रोत को बचाए रखने का गुण भी होना चाहिए |
Content Partner: Dignified India

कुछ इस कदर के दुआएं बेअसर हो गई
June 19, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता
कुछ इस कदर के दुआएं बेअसर हो गई,
के सारे मर्ज़ों की दवाएं मेरे ही सर हो गई,
इलाज मिला मगर कहीं कुछ कसर हो गई,
जिंदगी इससे पहले ही मोहब्बत की नज़र हो गई।।
राही (अंजाना)

मुशायरा 1
December 28, 2017 in मुशायरा
मुशायरा महीन अहसासों को बुनता हुआ, अल्फ़ाजों को सहजता हुआ एक ऐसा कारवां है जहां हर शख्स, हर शब्द अपने वजूद को महसूस करता है| यहां कुछ ऐसा ही कारवां बन जाये तो क्या बात हो| इसके लिये आपके सहयोग व योगदान की जरूरत होगी; उम्मीद है यह कारवां बढता ही जायेगा, अहसासों के साथ…आसमां से भी आगे|
आगाज करने वाली पंक्ति:
लफ़्ज कभी खत्म ना हो, बात से बात चले
मैं तेरे साथ चलूं, तू मेरे साथ चले|
मुशायरे का विजेता – Saurabh Singh (84 votes)
आप नीचे कमेंट के स्थान में अपने अल्फ़ाजों को लिख सकते है|
पुरस्कार राशिः ₹ 500 (Paytm)
– मुशायरे में कविता आगाज करने वाली पंक्ति से संबंधित होना चाहिए|
– कविता कम से कम दो पंक्ति की होनी चाहिए|
– विजेता का फैसला कविता को मिले वोट के आधार पर किया जाएगा| अर्थात, जिस कविता पर सबसे ज्यादा वोट होगें, उस कविता का कवि विजेता होगा|
– कविता लिखने और वोटिंग की आखिरी तारीख एक ही होगी – 7 जनवरी 2018
नोटः कविता जल्दी लिखने पर वोट प्राप्त करने का समय अधिक होगा, इसलिए जल्दी ही कविता लिखें और वोट प्राप्त करने के लिए शेयर करें|