वो जो गुजर गये यूं मुंह फ़ेरकर

January 7, 2016 in शेर-ओ-शायरी, हिन्दी-उर्दू कविता

वो जो गुजर गये यूं मुंह फ़ेरकर
उतरा उतरा रहता है तब से मुंह मेरा
कयामत थी या क्या थी वो
मिलकर उससे मजरूह हो गया दिल मेरा..

[मजरूह – जख्मी]

उस अफ़साने की बात करते हो

September 24, 2015 in ग़ज़ल

सिमट गया जो चंद अल्फ़ाजों में, उस अफ़साने की बात करते हो

खुद को हमारी जिंदगी बनाकर, छोड जाने की बात करते हो |

 

नहीं है कोई अंजाम इस अफ़साने का, मालूम था हमें

जला रखा था इक उम्मीद का चिराग़, उसे बुझाने की बात करते हो |

 

पहले से दफ़न है कई अहसास मेरे दिल की दरख्तों में

कत्ल करके इक और अहसास का, दफ़नाने की बात करते हो |

 

गये है तेरे दर पर हम, अपना सबकुछ छोडकर

अब खुद को छोडकर, लोट जाने क़ी बात करते हो

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