ज़िद #2Liner-95

ღღ__ये ज़िन्दगी अक्सर, ज़िद से नहीं चलती “साहब”; . कुछ धडकनों की खातिर, दिल से समझौता ज़रूरी है!!….‪#‎अक्स

“वहम” #2Liner-94

ღღ__ये भी हो सकता है मुझको, फिर से वहम हुआ हो “साहब” . फिर भी पूछ लो ना दिल से, क्यूँ मुझे आवाज़ देता है!!…‪#‎अक्स‬…

तलाक

तलाक क्या सच में ही होता है इतना आसान चंद तारीखे कुछ ज़िरहे दो दस्तखत खोल दी गिरहे बस निकल लिए पकड़ ख़ुद की राहे…

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