“गुमराह ” #2Liner-36
ღღ__ज़रा देखो तो निकल के “साहब”, अब तक वो आए क्यूँ नहीं; . कहीं ऐसा तो नहीं रस्तों नें, उन्हें गुमराह कर दिया !!……..#अक्स
ღღ__ज़रा देखो तो निकल के “साहब”, अब तक वो आए क्यूँ नहीं; . कहीं ऐसा तो नहीं रस्तों नें, उन्हें गुमराह कर दिया !!……..#अक्स
ღღ__अक्सर भीग उठती हैं “साहब”, पलकें तेरी नज़र-अन्दाज़ी से; . निगाह-ए-इश्क़ पे कोई फ़र्क, ज़माने का नहीं पड़ता !!………#अक्स
ღღ__ना जाने कैसे तुझको, “बे-हद” चाह बैठा “साहब”; . ये दिल जो अक्सर मुझको, मेरी “हद” बताता था !!………#अक्स
ღღ__नज़रों को इंतज़ार की, सजाएँ इतनी भी ना दो “साहब”; . ये बारिशें बिन मौसम की, हमसे अब देखी नहीं जाती !!…….#अक्स
ღღ__आगाज़ तो इस बरस का, लाजवाब हुआ है “साहब”; . बस यही अन्दाज़, मेरे अन्जाम तक बनाये रखना !!……#अक्स . समस्त मित्रों एवं शुभचिंतकों को…
ღღ__दूर आप जा रहे हो ‘साहब’, या फिर ये दिसम्बर; . कोई भी दूर जाये हमसे, ये देखा नहीं जाता !!…….#अक्स
कुछ तो खता तुम्हारी, बेशुमार यादों की है ‘साहब’; . ღღ___यूँ ही बे-सबब कोई, आवारा नहीं होता !!…….#अक्स
ღღ__इक उम्र गुज़ारी है आशिक़ी में, तो जाना है; . कुछ नहीं मिलता, इसमें इक आवारगी के सिवा !!……..#अक्स
ღღ__बाकी हैं चन्द साँसें अब, बेज़ार से दिसम्बर की; . एक नए दिन की तलाश में, पूरा साल ही जा रहा है !!…….#अक्स
ღღ__माफ़ करना पर आज, कोई शायरी नहीं है “साहब”; . कि रिश्तों की ठंड में, लफ्ज़ भी जम गये मेरे !!……..#अक्स
ღღ__मेरे गुनाह-ए-इश्क़ का, कोई फैसला तो सुना दो “साहब” . इस दिल को समझाने में, कुछ वक़्त भी तो लगता है!!…..#अक्स
ღღ__जो तुम कर रहे हो “साहब”, सितम की इन्तहा नहीं तो क्या है; . कि दूर भी जा रहे हो मुझसे, वो भी ज़रा-ज़रा कर…
ღღ__भला और क्या दूँ तुझको, सुबूत अपनी वफ़ा का मैं; . कि ख़ुद का भी ना हुआ हूँ, जबसे तेरा हुआ हूँ मैं !!…….#अक्स
ღღ__शायद ये आँखें मूँद लेने का, सही वक़्त है “साहब”; . कि रोज़ ख्वाहिशों का मरना, हमसे अब देखा नहीं जाता !!……#अक्स . www.facebook.com/अन्दाज़-ए-बयाँ-with-AkS-Bhadouria-256545234487108/
ये सर्दियों का मौसम, और ये तन्हाईयों का आलम; . कहीं जान ही ना ले-ले, इनसे मिलके बेबसी मेरी !!……#अक्स . www.facebook.com/अन्दाज़-ए-बयाँ-with-AkS-Bhadouria-256545234487108/
ღღ__इस कदर भी याद, ना आया करो “साहब”; . मेरी खुशियों की नींद में, खलल पड़ता है !!…….#अक्स . www.facebook.com/अन्दाज़-ए-बयाँ-with-AkS-Bhadouria-256545234487108/
ღღ___तुझको पाने की कोशिश भी, तू जो कह दे तो ना करूँ; . पर पाने की आरजू रखना, तो कोई गुनाह नहीं !!………#अक्स
ღღ__कुछ इस तरह से लिक्खा है, उस ख़ुदा ने मेरा नसीब; . कि मैं तो सबका हो जाऊंगा “साहब”, कोई मेरा नहीं होगा !!…….#अक्स
मोहब्बत से नफरत तक आने में, वक़्त तो लगता है; जागती आँखों को सुलाने में वक़्त तो लगता है!! . इतनी जल्दी कहाँ से सीखा,…
सूरत तो उसकी देखी, पर सीरत नहीं देखी; ღღ_है मेरी खता ये, कि मैं आदमी-सा था ! . ღღ_वक़्त के साथ उनके, बदला किये ख्याल;…
ღღ__वो तो लालच है उनके ख्वाबों का, जो हमें सुला देता है “साहब”; . वरना नींदें तो उनकी यादों ने, एक अरसे से उड़ा रक्खी…
ღღ__हमको सताने के मौके, वो छोड़ते नहीं हैं “साहब”; . कल ख़्वाब में भी आए, तो अजनबी बनकर !!…….#अक्स . www.facebook.com/अन्दाज़-ए-बयाँ-with-AkS-Bhadouria-256545234487108/
मेरे महबूब के जलवों की तो, पूरी दुनिया ही दीवानी है, ये जहाँ जो इक गुलिस्ताँ है, इसकी वो रात-रानी है; . चाल है गज़ालों…
“इन्तजार” ! बहुत ‘मतलबी’ लफ्ज़ है ना ‘साहब’ ?? ღღ__रख लो तो अमानत, दे-दो तो इक ज़मानत; . ღღ__चाहो तो मोहब्बत, सोचो तो सिर्फ नफ़रत,…
ღღ__इक परिन्दा हो के भी, अब उड़ नहीं सकता; . कि मेरे साये ने ही मेरा, मेरा आसमाँ चुरा लिया !!……..#अक्स
कुछ इस तरह ख्याल उसका, मेरी डायरी में क़ैद रहता है; . ღღ___जैसे मेरा वजूद, मेरी शायरी में क़ैद रहता है !!…….#अक्स
क़यामत के रोज़ फ़रिश्तों ने, जब माँगा हमसे ज़िन्दगी का हिसाब; . ღღ__ख़ुदा, खुद मुस्कुरा के बोला, जाने दो, ‘मोहब्बत’ की है इसने!!……#अक्स
ღღ__हमको भी अपनी बारी का, इंतज़ार रहेगा “अक्स”; . लोग कहते हैं तारीख़, खुद को दोहराती ज़रूर है !!………#अक्स
वो मुझमें बस गया है ‘साहब’, आईने में “अक्स” की मानिन्द; . ღღ___नज़र के सामने होकर भी, अक्सर सामने नहीं होता !!…….#अक्स
ღღ__मेरे मनाने से आखिर, क्यूँ लौट आएँगे वो भला; . वो छोड़ कर ही न जाते, अगर ऐतबार होता !!……..#अक्स
ღღ___कल मेरी ख़ामोशी का उसकी यादों से, झगड़ा हो गया “साहब”; . और शोर इतना हुआ दिल में, कि नींद जागती ही रात भर !!…..#अक्स
ღღ___अच्छे-बुरे का हिसाब, हम नहीं रखते “साहब” . हम तो बस वो करते हैं, जिसमें तुमको ख़ुशी मिले !!…….#अक्स
ღღ___सवाल तो बे-आवाज़ रातों का है “साहब”; . दिन तो गुज़र ही जाता है, ज़रूरतों के शोर में !!…….#अक्स
_________ लफ़्जों का सहारा बहुत लिया जिंदगीभर मैनें कभी कोई कंधा भी मिल जाता तो क्या बात होती – अंजली _________
ღღ___मेरी आँखों में जो क़ैद है “साहब”, वो समुन्दर ही है शायद; . कि सूखता भी नहीं, बहता भी नहीं, बस भरा ही रहता है…
ღღ___हासिल-ए-इश्क़ के बारे में, सोंचता हूँ जब भी ; . तेरा मिलना याद आता है, तेरी बेरुखी नहीं !!………..#अक्स
ღღ__लोग कहते हैं, इश्क़ मत कर, आखिर इश्क़ से क्या होगा; . अरे कुछ हुआ तो ठीक है “साहब”, ना हुआ, तो तजुर्बा होगा !!……..#अक्स
ღღ__दर्द की चाशनी में, डुबोना भी पड़ता है “साहब”; . महज़ इल्म की शायरी में, मिठास नहीं आती !!……..#अक्स “इल्म = ज्ञान”
ღღ__हम वो किताब थे “साहब”, जो कभी पढ़े ही नहीं गए; . काश, हमपे भी नक़ाब-ए-जिल्द, अच्छी चढ़ी होती !!…….#अक्स
ღღ__मेरे ख्वाबों की इक झलक, देखने की कोशिश तो करो कभी; . खुद-ब-खुद समझ जाओगे, तुमने क्या खोया है, इक मुझे खोकर !!…..#अक्स
हर कोई हमारे करीब आना चाहता है मगर रिश्ता कोई नहीं निभाना चाहता है चाहत तो हमारी बस सच्चे दिल की ही है मगर झूठी…
क्या होगा. . . . . .❤ कभी सोचा है, कि जब तुझको, मेरी याद आई तो क्या होगा; ना हम होंगे, ना तुम होगे,…
वह रहे कैदे जमां में जो मकीने आम हो लम्हा लम्हा जीने वालों का मक़ां कोई नहीं
तेरी हरयाली इन आँखों में है वरना, दिल तो कल भी रेगिस्तान था और आज भी है
उसके चेहरे से नजर हे कि हटती नहींवो जो मिल जाये अगर चहकती कहीं जिन्दगी मायूस थी आज वो महका गयीजेसे गुलशन में कोई कली…
आपकी यादो को अश्कों में मिला कर पीते रहेएक मुलाकात की तमन्ना मे हम जीते रहे आप हमारी हकीकत तो बन न सकेख्वाबों में ही…
यूं इकरार ए इश्क मे तू ताखीर न कर चले गये जो इकबार, फिर ना आयेंगे कभी
कौन कहता है मुहब्बत की ज़ुबाँ होती है ये हक़ीक़त तो निगाहों से बयाँ होती है वो न आये तो सताती है ख़लिश सी दिल को…
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