दाद
दाद देता हूं आपके परख को, सलाम करता हूं आपके समझ को। आप समझ लेती है इशारों इशारों की बातें, बड़ी शातिर है परखने में लोगों को, ✍महेश गुप्ता जौनपुरी »
रावण का अंत करना है तो, घर के वीभीषण को ढूंढ़ो । सच्चाई पर विजय पाना है तो, अपने अंदर के अवगुणों को ढूंढ़ो।। ✍ महेश गुप्ता जौनपुरी »
मुफ्त पर आश्रित है देश के बेईमान, अपना जेब भरने के लिए बेंच दिये इमान। माला पहन ईमानदारी का करते है ढ़ोंग, ऐंसे धूर्त पुरुष को करते है दूर से नमन।। ✍महेश गुप्ता जौनपुरी »
आशा की किरण देख मुस्कराते रहें, अपनों को गले लगा गला दबाते रहें। विश्वास में लेकर इमान का करते रहें सौदा, अपना समझ अपने को मौत के घाट उतारते रहें।। ✍महेश गुप्ता जौनपुरी »
सर पर जब छा जाता कुलक्षित विचार, मानव करने लगता दुसरो पर अत्याचार। धन दौलत के ऐंसो आराम में अंधा होकर, तनिक नहीं करता वह अच्छे बुरे पर विचार।। ✍महेश गुप्ता जौनपुरी »
रिश्ते में मतभेद जब हद से ज्यादा हो जाये, अहमियत अपनों का जब कर ना पाये। जब नारी का इज्जत का चीर हरण होने लगें, तब एक महाभारत की लड़ाई होने को आये।। ✍महेश गुप्ता जौनपुरी »
खुद पर लोग पर्दा डाल रहे हैं, दुसरो को लोग बेनकाब करने में लगे हैं। खामखा लश्कर में ऊंट बदनाम हो रहा, लोग यहां कौवे को कोयल समझ रहे हैं।। ✍महेश गुप्ता जौनपुरी »
कौआ कब तक कोयल बनकर मौज करेगा, अपने सारे अय्यासी पर कब तक ऐस करेगा। भेड़िया भले ही शेर का खोल पहन लें, चोरी एक दिन उजागर होकर ही रहेगा।। ✍महेश गुप्ता जौनपुरी »
आत्मचिंतन करो लोगों पर ना हंसो, दुनिया के दुःख दर्द को तुम समझो। काबुल में गधे भी होते हैं मेरे दोस्त, गधे घोड़े के बातों को तुम समझो।। ✍ महेश गुप्ता जौनपुरी »
राम नाम जपते रहे आत्मबोध हो जायेगा, कट जायेगा सारा पाप भव से पार हो जायेंगे। दिन दुखी का सेवा करके पुण्य की गठरी बांधो, कुलक्षित विचार को त्याग कर राम को अपनायेगें।। ✍महेश गुप्ता जौनपुरी »
गधा ज्ञानी बन च्वयनप्राश खाता, खुद को ठाठ बाट में दिखाता । गधे के चाल से काबुल हुआ परेशान हैं, गधे को असल में कुछ नहीं है आता।। ✍ महेश गुप्ता जौनपुरी »
गुण की पहचान अब कहां करते लोग, गधे के हां में हां करते हैं लोग। ना जाने कब तक करते रहेगें चापलूसी, मती भष्ट करके ना जाने कब तक आलाप गायेंगे लोग।। ✍महेश गुप्ता जौनपुरी »
नौ नकद ना तेरह उधार किजिए, अपना मेरा समय ना बर्बाद किजिए। आप अपने हिस्से में मैं अपने हिस्से में खुश हूं, धन दौलत में पड़कर सम्बन्ध खराब ना किजिए।। ✍महेश गुप्ता जौनपुरी »
नेता जी को अगिया बेताल हो लेने दो, कुछ अपनी कुछ उनकी बातें होने दो। बड़े सिद्दत से आये है आपके दरवाजे पर, झूठे वादों का पुड़िया अब उन्हीं को फिरा दो।। ✍ महेश गुप्ता जौनपुरी »
सरकार की अगर माने होते, तो आंकड़े बहुत सीमित होते। सब अपनी मर्जी में योध्दा हुए, जमात के जरिए देश के दुश्मन होते।। महेश गुप्ता जौनपुरी »
कोस रहीं है नारी बेचारी, निकम्मी सरकार और पुरुष को। दोनों का हाल हुआ बेहाल, मन ही मन कोसें खुद को।। ✍महेश गुप्ता जौनपुरी »
नारी की महिमा बड़ी निराली, महाभारत भी देन नारी की। जब अपने पर आ जाती नारी, करती खड्ग शेरों पर सवारी।। ✍महेश गुप्ता जौनपुरी »
बगिया से मनमोहक फूल झड़ना, आशिको के टूटे दिल मिलना। बीच बाजार में दिल का मचलना, प्रेम की खूशबू से जहां को सुगंधित करना।। ✍महेश गुप्ता जौनपुरी »
नियती और नियती से चलता यह संसार, आकाश पाताल भूमण्डल है एक विचार। जीव जन्तु जगत विज्ञान आधार बनें भगवान, दया धर्म अधिकार से बदलता ये संसार।। ✍महेश गुप्ता जौनपुरी »
अंधेर नगरी को उजाला करने आये हैं, दीप जलाकर अंधेरा मिटाने आये हैं। एक दीप जलाकर आओ मेरे साथ मित्र, अंधेर नगरी को स्वर्ग की नगरी बनाने आये हैं।। ✍महेश गुप्ता जौनपुरी »