गुरु जी
गुरु सदैव है वन्दनीय, करो गुरु का सम्मान। ज्ञान की पोटली बांधकर, गुरु के लिए लुटा दो जान।। महेश गुप्ता जौनपुरी
गुरु सदैव है वन्दनीय, करो गुरु का सम्मान। ज्ञान की पोटली बांधकर, गुरु के लिए लुटा दो जान।। महेश गुप्ता जौनपुरी
ज्ञान की अभिलाषा रख लें मनवा, गुरु नहीं मिलते बारम्बार । जीवन के अंधियारे को मिटा ले, गुरु का छाया मिलें ना बार बार।। ✍महेश…
कृष्ण जीवन को अपनाएं, जीवन को खुशहाल बनाएं। छल कपट की रेखा को मिटा, जीवन को अपने सत्य बनाएं।। ✍महेश गुप्ता जौनपुरी
गुरु की महिमा जीवन का उद्धार, गुरु से मिलता जीवन में ज्ञान । अज्ञानता दुर कर लाते प्रकाश, गुरु से ही है यह मेरा संविधान।।…
विपत्ति में जो मित्र काम दें, वहीं सच्चा मित्र कहलाये। ज्ञान दर्पण को परख कर, साहस से निर्बल को अपनाये।। ✍ महेश गुप्ता जौनपुरी
पीठ पीछे जो तुम्हारे निन्दा करें, उसको गले से लगा लो तुम। कांटा जो बोए बीच रास्ते तुम्हारे, उसको गले लगाकर अपनाओ तुम।। ✍महेश गुप्ता…
खुश रहो खुश रखना सिखों, निन्दे को निन्दा करने दो तुम। जीवन के कठीन परिस्थिति में, दुश्मन को भी प्यार दो तुम।। ✍महेश गुप्ता जौनपुरी
काल चक्र देवी देवताओं का उपहार है, महापुरुषों का जीवन सदैव स्वीकार करो। कर्म को अपने करते रहों मन को शांत रखो, दुश्मन को प्रणाम…
कांटे को जो बोता है वहीं उसे है कांटता, फूलों की महक को पाने में कांटे में लिपटा रहता। मानव जीवन को अपने करके व्यर्थ,…
सत्य राह पर चलते रहना तुम, कभी ना विचलित होना राहों से। ज्ञान विवेक साहस के दम पर, दुश्मन को अपना बनाना तुम।। ✍महेश गुप्ता…
मन को अपने खुश रखना सिखों, जीवन को अपने जीना सिखों । विकट परिस्थितियां सुलझ जायेगी, दर्द में भी तुम मुस्कुराना सिखों।। ✍ महेश गुप्ता…
जीवन एक परिभाषा है, सीखो और चलना सीखो। काल चक्र के सायें में पड़कर, जीवन अपना योग्य बनाना सीखो।। ✍महेश गुप्ता जौनपुरी
लेखनी पर जो करते है विश्वास, दिन दुखी रहते है सदैव । कर्म को जो समझते हैं प्रधान, वहीं रचते इतिहास है सदैव।। ✍महेश गुप्ता…
स्वयं पर जोर लगाकर तुम, हर बाज़ी को पलट डालो तुम। ज्ञान विवेक का इस्तेमाल करके, जीवन को सफल बनाओ तुम।। ✍महेश गुप्ता जौनपुरी
निन्दक को सौंप सम्राज अपना, दुश्मन से भी प्यार का चेष्ठा रखना। गले लगाकर निन्दक को प्यार लुटाओ, पानी पानी हो जायेगा छोड़ कर बदले…
करना है कमाई करो ज्ञान का, धन दौलत खिंचे चले आयेंगे। इंसान का करके तुम बड़ाई, नज़रों में तुम देवतुल्य हो जाओगे।। ✍महेश गुप्ता जौनपुरी
करते रहो सदैव तुम कर्म, कभी ना हटना करने से धर्म। विश्वास करके बढ़ते रहना, कभी ना करना तुम शर्म।। ✍महेश गुप्ता जौनपुरी
कर्म कसौटी ऐंसा है धर्म, बीज के आधार पर देता फल, बोया बबूल तो उगते कांटें, फल मिलें आज नहीं तो कल।। ✍महेश गुप्ता जौनपुरी
नफ़रत इंसान को इंसान नहीं बनने देता, जीवन के राह में नेक इंसान नहीं बनने देता। कर्मों के आधार पर बंट जाता है इंसान, प्रेम…
निंदक के चाल में पनपता है चतुराई, निंदक के भाषा को तू समझ लें भाई। भोला इंसान बनकर कब तक देगा धोखा, अभी से सम्भल…
नफ़रत की फनस को आओ पैरों से रौंदे, खुशीयों की झलक को आओ मिलकर जी ले, मेरा देश मेरा वतन है प्यार सिखाता, नफ़रत को…
खुदकिस्मत हो निन्दक साथ दे गया, इतिहास गवाह है निन्दक बर्बाद कर गया। हौसलों को तोड़ना फितरत था उनका, निन्दक मेहरबान था आबाद कर गया।।…
निन्दक को भविष्य की चिंता नहीं होता, खुद को अच्छा बनाना फितरत नहीं होता। उनके खून में निंदा हैं समाहित होता, जिसके बदौलत वह खुद…
दया धर्म को ना छोड़िए जब तक चले सांस, पाप की गठरी पर ना करो कभी तुम आस। बुरा किसी का कभी ना करो जब…
धन दौलत को पाकर प्राणी, तन मन से जाता बौराय। धतुरा के सेवन से प्राणी, बल बुद्धि को देता खोय।। ✍महेश गुप्ता जौनपुरी
कनक लालसा अंधा करता, नर नारी को कुलक्षित करता। स्वर्ण को देखें आंखें चमके, लालच इंसा के बुध्दि को हरता।। ✍महेश गुप्ता जौनपुरी
हार कर राह ना छोड़ो तुम, अपने राह को ना मोड़ों तुम। अस्त्र शस्त्र के बल पर मित्र, लड़ते लड़ते वीर सपूत कहलाओ।। महेश गुप्ता…
दया धर्म के बल पर प्राणी, जीत लेता है विश्व संसार। कर्म धर्म को करते रहना, कभी ना मानना तुम हार।। ✍महेश गुप्ता जौनपुरी
जो दया धर्म के राह चलते, उसका कोई बिगाड़ नहीं सकता। दिन दुखी का जो सेवा करते, सदा उनका जयकारा होता।। ✍महेश गुप्ता जौनपुरी
कर्मभूमि पर न्योछावर करके, अपनों को जो गले लगाते है। निष्ठावान से जो धर्म सेवा करते, जग सदैव वीरों को गले लगाती है।। ✍महेश गुप्ता…
दया धर्म की पोटली बांधकर, जो राह पर अपने चलते हैं। कर्म भूमि को याद करके, जो राह पर अपने बढ़ते हैं।। ✍महेश गुप्ता जौनपुरी
विनाश के चक्कर में पड़कर, जीवन को क्यों बर्बाद करना। दया धर्म कर्म करके इंसान, मानवता का तुम उध्दार करना।। ✍महेश गुप्ता जौनपुरी
सत्य राह पर चलो आहिस्ते आहिस्ते, झूठ फरेब को खदेड़ो दौड़ा दौड़ा कर। धर्म कर्म निती पर रखकर विश्वास, हे मानव दिखलाओ कुछ अलग कर।।…
वृक्ष लगाओ वृक्ष बचाओ जीवन को खुशहाल बनाओ, धरा को सुसज्जित करके वायुमंडल को स्वच्छ बनाओ। वृक्ष लगाओ वृक्ष बचाओ तन मन को प्रफुल्लित कर…
जिंदगी ये मेरी जिंदगी मुझे क्या से क्या बना दिया। इस लाकडाउन में जीना मरना सिखा दिया।। उम्र में पहली बार सुकून के पल दे…
सुखी बंजर भूमि करें पुकार, वृक्ष लगाकर करो श्रृंगार । भूमण्डल का बिगड़ा संतुलन, वृक्षों से ही है सबका जीवन।। महेश गुप्ता जौनपुरी
तप रही धरा को सुसज्जित फिर से करना है, वृक्षारोपण करके धरा को हरा भरा बनाना है। वृक्षारोपण का संकल्प इंसा को लेना होगा, वायुमंडल…
सोचा था जो वो पुरा ना हो सका बदलते हालात को देख मैं अपना ना हो सका आंखों के आंसूओं को मैं अपने पोंछ ना…
कर सकें तो मदद करें मजदूर पर राजनिति नहीं आये दिन देखने को मिल रहा है सभी राजनीति पार्टियां मजदूरों पर राजनीति करने के लिए…
बचपन पर ना डालो इतना बोझ, खेल कूद उत्पात मचा लेने दो। याद करके अपने बचपन को, बच्चों को मौज कर लेने दो ।। ✍महेश…
किसान अपने परिवेश को छोड़, खुद को कलंकित नहीं है करता। खून पसीने को बहाकर अपने, देश से गद्दारी नहीं है चाहता ।। ✍महेश गुप्ता…
किसान अपने परिवेश को छोड़, खुद को कलंकित नहीं है करता। खून पसीने को बहाकर अपने, देश से गद्दारी नहीं है चाहता ।। ✍महेश गुप्ता…
किसान जंग जब छेड़ता है, सरकार घुटने टेकता है । मनवा कर अपना सारा शर्त किसान, सरकार का अक्ल ठिकाने लगा देता है।। ✍महेश गुप्ता…
भ्रष्टाचार के जंजीरों में ना जकड़ो सरकार, किसान को किसान ही रहने दो मेरे सरकार। अलाप नहीं रोना मुझको नेता के पकड़ पांव, खून पसीने…
अन्न की कद्र जाने किसान, खेत को पुजे समझ भगवान। पैसे वाले कद्र क्या जाने अन्न का, उनके अन्दर समां गया है शैतान।। ✍महेश गुप्ता…
खेत को जोतकर बो ही देता, हो कितना भी परेशान किसान। फंड को तांक में रखकर किसान, मेहनत करके अन्न उगाता किसान।। ✍महेश गुप्ता जौनपुरी
बच्चों की किलकारी पर बोझ लाद रहे हैं हम, नन्हें-मुन्हें मासूम पर जिम्मेदारी लाद रहे हैं हम। अपनी नाकामी को साबित करके महान बने हम…
भार के आगोश में सजा काट रहा है, बचपन अपना भूल कर समझदार बन रहा है। किताबी संसार को अपना जीवन समझ रहा है, बदलते…
चमकते बादल का दर्द किसान से पुछो, हवा के झोंके का हाल किसान से पुछो। कितना दर्द हैं देता ओलावृष्टि का मार, टूटे हुए सपनों…
अस्त ब्यस्त लस्त में भी खुद को जिंदा रखता, खून पसीने को बहाकर खेत हरा भरा रखता। प्रकृति के हालातों से कभी नहीं झुकता, मेहनत…
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