बसंत बहार

बरसेगी धरती पे कब सावन के फुहार। बता ए घटा कब आएगी बसंत बहार।। मोर पपीहा भी मिलन के गीत गुनगुनाने लगे। मन के बगिया…

वादा

जब ज़िन्दगी कर रही होगी अंत निर्धारित हमारी कहानियों का जब वक्त की धुंध छँट जायेगी और साफ़ नज़र आने लगेगा चेहरा मौत का..!! जब…

आधुनिका नारी

नारी के नवोन्मेष पर ————————– चाँद ने पलकें उठा कर देख तो लिया है अब~ पश्चिम से आते प्रकाश को, पर आधुनिका को यह स्वीकार्य…

तुम्हारे हाथ

नदियाँ- सागर, सहरा- पहाड़, पानी-प्यास, सूखा- बरसात, तितली-फूल, छाया- धूप पंछी- आकाश, जंगल- उजाड़ सबकी पीड़ाओं को आश्रय दिया है तुम्हारे हाथों ने कहो प्रेम!…

नज़दीकियाँ

क्या मापदंड हैं नज़दीकियों के कितनी नगण्य है दो लोगों के बीच स्थित भौगोलिक दूरी जिनके दिल धड़कते हैं एक ही लय में..!! और कितना…

आहट होते ही

कुएं का मेंढक समझता है और आएं नहीं मैं ही टर्राते रहूँ, राज अपना समझ कर और पर गुर्राते रहूँ। दूसरों के आने की आहट…

बस खुश रहो

मेरी दुआ है तुम आबाद रहो खुश रहो, चाहे जहाँ रहो। मेरी हर आरज़ू में तुम हो जहाँ रहो बस खुश रहो।

पिता वह दरख्ता है

पिता वह दरख्ता है जिसकी छांव में रहकर नन्हे-मुन्ने पौधे भी जीवित रहते हैं और थके हारे राहगीर उसकी ठंडी छांव में आराम पाते हैं…

मुक्तक

किसका शौक पूरा हुआ है, गम खुशी में जीवन रहा है, जो दिखावा कर रहे जमाने में, खुशी के लिए बहुत कुछ सहना पड़ रहा…

तूफ़ान

सागर के सीने पर उठने वाले ये विकराल तूफ़ान, वास्तव में उसकी पीड़ाएँ हैं, जो रह-रह के उद्वेलित होती रहती हैं, उस नदी की प्रतीक्षा…

मुक्तक

मुक्तक —————- मै मुर्गी खाऊ वो पाप बताते हैं वो कुकुरमुत्ता खाएं गर्व से स्वाद बताते हैं आगे से निकला पीछे से निकला उसका ऐसा…

नियति

पलक झपकते ही खो हो गए कितने ही मुस्कुराते चेहरे, जो कल तक थे हमारी कहानी का हिस्सा जैसे किसी चलचित्र में क्षण में बदल…

सुख

केवल आकार का अंतर होता है आग की लपट और चिंगारी में परन्तु समान होता हैं उनका ताप और गुणधर्म उसी प्रकार सुख भी चाहे…

फकत इतना

तुमने भी मोहब्बत की हमने भी मोहब्बत की फर्क बस फकत इतना था हम तो तुमसे करते थे तुमने किसी और से ही की…

अपराजिता

माँ, तुम्हारे बारे में लिखना कठिन है या यूँ कहूँ कि ये असमर्थता समानुपातिक है उस सहजता के जिससे तुम मेरे मौन के पीछे छिपी…

वहम

कभी-कभी आसपास पानी होने का भ्रम चंद साँसों का इजाफ़ा कर देता है तड़पकर मरते हुए किसी प्यासे मुसाफ़िर की ज़िन्दगी में तुम भी मेरे…

कमाई करो

प्यार से पहले कमाई करो धन हो या शिक्षा उसकी रोपाई करो, भूखे कभी न रहोगे ठग कभी न जाओगे, दुनिया तुम्हें रुलाएंगी, है ज्ञान…

भले मानुष बनो

दिन पर दिन कर रहे व्यभिचार क्यों बढ़ा रहे हौं तुम‌ ऐब, खुद बीड़ी सिगरेट गुटखा खाए तम्बाकू पिये दारू, बच्चा खाए ना पावे एको…

बेकारी

घर बनाने गए दो हाथ घर बनाने के लिए हाथ जोड़ते रह गए आखिर जबाब मिल ही गया काम नहीं तब से बनी हुई इमारत…

हे धरित्री

हे धारित्री, पञ्च महाभूतों में से एक तुम, तुमसे ही उत्पन्न होकर भी मानव अछूता रहा तुम्हारी सहनशीलता के गुण से..!! काश! तुम्हारे धैर्य का…

तुम्हारी आँखे

कल अचानक ही तुम्हारी तस्वीर पर आकर ठहर गईं मेरी निगाहें… और मैं उलझकर रह गयी तुम्हारी आँखों के तिलिस्म में ..!! गहरी ख़ामोशी समेटे…

“नाम”

नाम…. यही तो है हमारी पहचान, हमारे व्यक्तित्व की शान। नाम केवल एक नाम ही नहीं है, एक विशेष शख्सियत है… जिसे जानते हैं हम…

खूबसूरत सुबह

खूबसूरत सुबह तुझे प्रणाम है मेरा, सूर्य की रश्मियों को आज प्रणाम मेरा। खिल रही दिशाएं चहकते खग वृंदों, चमकती ओस बूंदो तुन्हें प्रणाम मेरा।…

रंगमंच

दुनियाॅं के रंगमंच पर, हम सभी आते हैं अपना-अपना किरदार निभाने, किरदार निभाते-निभाते भूल ही जाते हैं.. कि एक दिन इस रंगमंच से, जाना है…

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