
Ankit Bhadouria
दुनियाँ बदल रही है !!
November 13, 2015 in ग़ज़ल
ये दुनियाँ बदल रही है, या बस हम बदल रहे हैं ;
दौड़ बची है पैसों की, सब, सबसे आगे निकल रहे हैं !
यारियाँ है मतलब की, फर्ज अब हक़ में बदल रहे हैं ;
रिश्तों में विश्वाश अब कहाँ, यक़ीन अब शक़ में बदल रहे हैं !
माँ, बहनें महफूज़ नहीं, रक्षक अब भक्षक में बदल रहे हैं ;
जिनके कदमो में हैं राम-ओ-रहीम, उनको पैरों से कुचल रहे हैं !
हर चेहरे पर इक नकाब है ‘अक्स’, और लफ्जों में सियासत;
हर शख्स खुदी में ख़ुदा है, इंसान मजहब में बदल रहे हैं !………#अक्स
क्या होगा. . . . . .❤
November 13, 2015 in हिन्दी-उर्दू कविता
क्या होगा. . . . . .❤
कभी सोचा है, कि जब तुझको, मेरी याद आई तो क्या होगा;
ना हम होंगे, ना तुम होगे, और ना तन्हाई तो क्या होगा !
कि आकर लफ्ज़ होठों तक, पलट जायेंगे मुमकिन है;
किसी से कह दिया, और हो गयी, रुस्वाई तो क्या होगा!
करोगे जज़्ब कैसे तुम, जो कहना ना हुआ मुमकिन;
ख़ुशी की महफ़िलों में आँख, भर आई तो क्या होगा!
ये माना जीतने का हुनर है, तुम्हारे पास मोहब्बत में;
पर सोंचते हैं, गर किसी से, शिकश्त पायी तो क्या होगा!
रखो बेशक हमारी खामियों का, गुनाहों-सा तुम हिसाब;
कभी सोंचा है, जब तुम्हारी, ज़फाएँ सामने आयीं तो क्या होगा!!. . . . . #अक्स
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