किसान

February 11, 2021 in Poetry on Picture Contest

खेतों के सब बीज शज़र हो जाते हैं
सरहद पर वीर अमर हो जाते हैं
तुम वर्दी पहने मिट्टी साने क्या बतलाते हो
हम भी इनके जैसे हैं ये दिखलाते हो,

सीखो जरा लाल अटल और बल्लभ से
क्या होते हैं वीर-किसान देश नगर के
अब उनको तुम गोली मारो या फासी लगवा दो
कर्ज़ से इक़ है मरने वाला एक तुम्हारी यारी से,

ये भारी है सर्द रात मगर इस दिल्ली की
तान खड़े है सम्मुख किसान-जवान
कर रहै है सत्ताधारी न रहे कोई जवान किसान
फिर कर रहे भारी नुकसान इस दिल्ली की,

माना के इक़ नशा है सत्ता पर रहने का
पर ऐसा न करो शोषण जनता के लोगों का
तुम रखो ये देश संभाले रखो
पर मत बेचो ये देश जनता के लोगों का,

तुम किस चेतन के अचेतन पर अटके हो
तुम कहो नही तुम उसे अन्तर्मन में रहने दो
देश की सारी संपत्ति को लेकर आए
तुम उस सम्पति का व्योरा खैर छोड़ो रहने दो,

क्या कहते हो “बापू” के सपने को पूरा करने
तुम अपने बात पर कब तक रहते हो रहने दो
अबकी बार….सरकार का उदघोष अटल है
कुछ करो अटल बल्लभ से काम,खैर रहने दो।

तुमको क्या सियासत की रोजगारी है
हम जैसे वनवासी को नौकरी की आस जारी है
ऐसे भी अत्याचार कौन करता है बदर’
अपना भी कहता है और तीर ज़िगर के पार भी करता है।

-कुमार किशन_बदर

अम्मा

July 10, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

अम्मा,
एक बात कहूं
ये जो तुम बकरी भैस
गोबर घास में
लगी रहती हो न
अच्छा है,
तुम अकेली तो नही
बाबू की अलग सुनने की आदत,
तुम्हारी थकान,
तुम जो आकर शाम को
सो जाती हो
जानता हूँ तुम थकी रहती हो
पैर का दर्द और
एक गिलास मे आधे चाय
दर्द दूर कर देते है?
मुझे तो नही लगता…
अम्मा,
ये भैस बकरी बेचना मत
अकेली पड़ जाओगी
और मैं….
अम्मा दर्द होगा ना पैर में
दबा दूं??

-कुमार किशन

पहली बारिश

July 5, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

पहली बारिश….।

आज सुबह से बारिश
रुकने का नाम नही ले रही
जानती हो,
पहली बारिश याद आ गयी,
उस रोज देर तक बस स्टॉप पर
ठहरे रहे,
अजनबी से,तुम मुझसे अनजान थी
और मैं भी….
ये बारिश भी सडकों को जाम कर गयी थी
न बसों का चलन
न कैब कोई,मेरा रुम तो नज़दीक़ था
और लगभग सूरज भी
नींद में ही था,
तो मैने पूछ ही लिए के,
गर आपको,ठीक लगे तो कुछ देर
पास में मेरा रुम है
कुछ देर ठहर जाओ
और किसी को कॉल करके
बुला लेना,
…..ठीक
पर….
उस दिन रात को ठीक 11:11 मिनट
पर वो पहली बारिश थमी,
उन वक़्त 6 से 11 के बीच का वक़्त
साथ बैठे बातों और चाय की
चुस्कियों में बीत गया,
आज की बारिश,याद दिलाती है
उस दिन की,
कुछ खास तो नही पर
उसका होना बहुत खास था
और….पहली बारिश……।

-कुमार किशन

10:30 AM

December 11, 2019 in Other

सर्दी की दस्तक़

तुम आओगी न
ये कोहरे वाली रातें आने को है
सर्दी की दस्तक हल्की हल्की सुनाई दे रही है
थोड़ा जल्दी आना,
हम तो यही है
पिछली मुलाक़ात से
तुम जाने को कहती हो
तुम जल्दी आना
जो जल्दी जा सको,
वैसे भी कल आऊँगी
बोलकर गयी थी,
आज बरसों बीत गए
तुम्हारे कल को,
सो आओगी तो एक काम करना
घर पर कल आउंगी बोलकर आना,
शायद जाने में तुम्हें बरसों लगें,
सहर अब कुछ ठंडी होने लगी है
सर्दी की दस्तक हल्की हल्की सुनाई दे रही है,
मैं इंतेज़ार करूँगा वहीं
जो तुम्हारे घर के पास बना मकां हैं।

#कुमार किशन

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