वक़्त का तमाचा

March 29, 2016 in हाइकु

वक़्त का तमाचा
हाथ क्या पूछे

वज़ूद तेरा बूँद सा

March 29, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

वज़ूद तेरा बूँद सा
शामिल है मगर समुंदर में

गिर के संभले तो मगर

March 29, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

गिर के संभले तो मगर
संभले मगर गिर गिर के

बगैर दुनिया के हम नहीं है

March 29, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

बगैर दुनिया के हम नहीं है
दुनिया कौन सा अकेले चलती है

फिर वहीँ फ़रियाद

March 29, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

फिर वहीँ फ़रियाद
कौन रखेगा याद
सिरहाने बैठी रही
सिसकियाँ अपनी आबाद

बिन तेरे कमीं तो थी

March 29, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

बिन तेरे कमीं तो थी
आँख में कुछ नमी तो थी
युँ तो सांसें चलती रही मगर
सांस कुछ देर को धमी तो थी

किसकी हसरत कैसी हसरत

March 29, 2016 in हाइकु

किसकी हसरत कैसी हसरत
अपने तो दुखों को मिली बरकत
उसे गुनाहगार कैसे कह दो
सब थी अपनी ही वैसी हरकत

जिल्द बिन किताब का

March 29, 2016 in हाइकु

जिल्द बिन किताब का
फूल बिन हिज़ाब का
रातों का नहीं
ख्वाब हूँ आफताब का

न सही गम सही

March 29, 2016 in हाइकु

न सही गम सही
खुद बन मरहम सही

सीने में दबे अरमान

March 29, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

सीने में दबे अरमान
आँखों में झलक जाते है
आँखों में छुपे अरमान
ख्वाब बनके ढलक जाते है

घर से निकलोगे तो जानोगे

March 29, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

घर से निकलोगे  तो जानोगे
चांदनी का वज़ूद क्या है

कहीं पर लब मचल गए

March 29, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

कहीं पर  लब मचल गए
कही मतलब मचल गए
इंसा की हसरतों का क्या
जब देखो तब मचल गए
    राजेश ‘अरमान’

कोई पीर न था

March 29, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

कोई पीर न था
कोई राहगीर न था
बहता हुआ नीर न था
 ज़िंदगी का फ़क़ीर न था
बस कुछ ढूंढती  है आँखें  
ज़माने की कोई तस्वीर न था

माना वो सिकन्दर था

March 29, 2016 in शेर-ओ-शायरी

माना वो सिकन्दर था
उसका भी मुक़द्दर था
हमने अपने हाथों से उजाड़ा
कुछ अपने भी तो अंदर था

मत रोको आंसुओं को

March 29, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

मत रोको आंसुओं को
कहीं बहता पानी रोक जाता है

ज़ख्म को गिनते क्यों हो

March 29, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

ज़ख्म को गिनते क्यों हो
गोया अब इन्तहा हो गई हो

कौन पी सका समुंदर को

March 29, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

कौन पी सका समुंदर को
लहरे ही दर्द सहती है

मैखाने की बातें मैखाने

March 29, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

मैखाने की बातें मैखाने तक रहने दो
आंसुओं के सैलाब ही समुंदर होते है

कोरे कागज़ पे लिखी

March 29, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

कोरे कागज़ पे लिखी
कोई दास्तां नहीं
वज़ूद अपना बुलंद
ज़माने से वास्ता नहीं

उन्हें ज़िद थी न हारने की

March 29, 2016 in हाइकु

उन्हें ज़िद थी न हारने की
कारण बन गई हार का

घर के अंदर घर नहीं मिलता

March 29, 2016 in हाइकु

घर के अंदर घर नहीं मिलता
कोई सुखनवर नहीं मिलता

बिक गया वो शक्स भी

March 29, 2016 in हाइकु

बिक गया वो शक्स भी
जिसे हम सौदागर समझते रहे

न सूरत में न सीरत में

March 29, 2016 in हाइकु

न सूरत में न सीरत में
सब कुछ मन की जीनत में

कहाँ गई वो हवाएं

March 29, 2016 in हाइकु

कहाँ गई वो हवाएं
कहाँ गई वो फ़िज़ाएं
बिखर गई अब वफ़ाएं

गुमशुदा इंसा

March 29, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

गुमशुदा इंसा
इस्तहार कहाँ दे

हर किताब की कहानी

March 29, 2016 in हाइकु

हर किताब की कहानी
पन्नो की मेहरबानी

सब कुछ वैसा ही

March 29, 2016 in हाइकु

सब कुछ वैसा ही
सब कुछ पैसा ही

वीराना अपना

March 29, 2016 in हाइकु

वीराना अपना
वीराना बेगाना
वीराने को कौन जाना

चलो फिर बांट ले

March 29, 2016 in हाइकु

चलो फिर बांट ले
गम को फेक डाले
खुशिओं को छांट ले

मन आतुर नयी सुबह को

March 29, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

मन आतुर नयी सुबह को
सुबह आदत से मज़बूर

वफ़ा क्यों ढूँढ़ते हो

March 29, 2016 in हाइकु

वफ़ा क्यों ढूँढ़ते हो
गुमी हुई है गुमी रहेगी

दर्द के पंजों में

March 29, 2016 in हाइकु

दर्द के पंजों में
दर्द है

क्या लिखता है

March 29, 2016 in हाइकु

क्या लिखता है
सब दिखता है
इंसा बिकता है

उनकी तकलीफ देखी न गई

March 29, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

उनकी तकलीफ देखी न गई
जब तकलीफ देखी न गई
वजह भी पूछी न गई
कुछ निशान खामोश है

वो जलते क्यों है

March 29, 2016 in हाइकु

वो जलते क्यों है
क्या शमा से रिश्ता है

कोई अजनबी

March 29, 2016 in हाइकु

कोई अजनबी
छोड़ जाता
आवाज़ दबी

किसकी कितनी उम्र वो जाने

March 29, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

किसकी कितनी उम्र वो जाने
हम तो ज़िंदगी का हिसाब नहीं करते

जो उसकी तमन्ना

March 29, 2016 in हाइकु

जो उसकी तमन्ना
बाकि फिर क्या करना

कोई रहबर नहीं

March 29, 2016 in हाइकु

कोई रहबर नहीं
कोई सहर नहीं
अपनी भी खबर नहीं

नीले सपनो में

March 29, 2016 in हाइकु

नीले  सपनो में
काले से
है शुमार अपनों में

उसने की थी शुरू लड़ाई

March 29, 2016 in हाइकु

उसने की थी शुरू लड़ाई
मात मैंने भी कभी न खाई

मैंने जीतने की खवाइश की

March 29, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

मैंने जीतने की खवाइश की
हार खुदबखुद शर्मा गई

वक़्त पकड़ता लम्हा

March 29, 2016 in हाइकु

वक़्त पकड़ता लम्हा
इस दुनिया में
हर इंसा तनहा

जंग इंसानियत की

March 29, 2016 in हाइकु

जंग इंसानियत की
इंसान हो रहे लुप्त

उसके क़दमों की चाप

March 29, 2016 in हाइकु

उसके क़दमों की चाप
सनाटों को रौंद गई चुपचाप

नफरतें बेहिसाब

March 29, 2016 in हाइकु

नफरतें बेहिसाब
पहने नक़ाब
निकलते जनाब

काश कोई पिंजरा ऐसा होता

March 29, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

काश कोई पिंजरा ऐसा होता
जो आसमा में टंगा होता

कौन आया

March 29, 2016 in हाइकु

कौन आया
कौन गया
यही दुनिया

दिखते तो अब जो कभी

March 29, 2016 in हाइकु

दिखते तो अब जो कभी
दिखाई देते पर  दिखने जैसे नहीं

कुछ तो था खास

March 29, 2016 in हाइकु

कुछ तो था खास
कैसे कोई भूले
था वो ख़ास

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