कहानीयों में था हरा-भरा

September 26, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

“कहानीयों में था हरा-भरा”
“अब कश्मीर का रंग लाल हो गया है”

“शहीदों के लहू से रंग गयी है ज़मीन ”
“जलीयांवाला बाग जैसा हाल हो गया है ”

~शाबीर

अब डर सा लगता है

September 26, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

“अब डर सा लगता है सुबह-सुबह अखबार पकड़ने से”

“न जाने कौन देश की बेटी, देश का जवान या देश का स्वाभीमान , लूट लिया हो ” !

~शाबीर

हवस की नजर है हर तरफ़

September 13, 2016 in Other

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अपने नजरों की मेहर बरसा

September 13, 2016 in शेर-ओ-शायरी

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