मुक्तक

October 25, 2019 in मुक्तक

मैं तेरी सूरत का दीवाना हूँ कबसे।
मैं तेरी चाहत का अफ़साना हूँ कबसे।
अंज़ामें-बेरुख़ी से बिख़री है ज़िन्दग़ी-
मैं तेरे ज़ुल्मों का नज़राना हूँ कबसे।

मुक्तककार- #मिथिलेश_राय

मुक्तक

September 24, 2019 in मुक्तक

ख़्वाब टूटते हैं मग़र यादें रह जातीं हैं।
चाहतों की दिल में फ़रियादें रह जातीं हैं।
देख़तीं रहतीं हैं आँखें राहें मंज़िल की-
वस्ल की भटकी हुई मुरादें रह जातीं हैं।

मुक्तककार- #मिथिलेश_राय

मुक्तक

September 23, 2019 in मुक्तक

कोई कहे कैसे उसको ग़म नहीं है?
जो कुछ मिल गया है उसको कम नहीं है।
तुम हर तरफ़ ढूँढ़ लो इलाज़े-मर्ज़ को-
इस दर्द का कोई भी मरहम नहीं है।

मुक्तककार- #मिथिलेश_राय

मुक्तक

September 20, 2019 in मुक्तक

मेरे दर्द को तेरा अफ़साना याद है।
मेरे ज़ख़्म को तेरा ठुक़राना याद है।
ख़ींच लेती है तलब मुझको पैमाने की-
हर शाम साक़ी को मेरा आना याद है।

मुक्तककार- #मिथिलेश_राय

मुक्तक

September 18, 2019 in मुक्तक

हम ज़िन्दग़ी में ग़म को कब तक सहेंगे?
हम राह में काँटों पर कब तक चलेंगे?
क़दम तमन्नाओं के रुकते नहीं मग़र-
हम मुश्क़िले-सफ़र में कब तक रहेंगे?

मुक्तककार- #मिथिलेश_राय

मुक्तक

May 7, 2019 in मुक्तक

तेरे बग़ैर तेरी तस्वीरों का क्या करूँ?
मैं तेरे ख़्यालों की जंज़ीरों का क्या करूँ?
अश्क़ों को छुपा लेता हूँ पलकों में लेकिन-
मैं तेरे सपनों की ज़ाग़ीरों का क्या करूँ?

मुक्तककार- #मिथिलेश_राय

मुक्तक

March 17, 2019 in मुक्तक

क्यों तुम मेरी यादों में ग़म कर जाते हो?
आकर मेरी निगाह को नम कर जाते हो।
दर्द की आहट से डर जाती है ज़िन्दग़ी-
मेरी ख़ुशियों के पल को कम कर जाते हो।

मुक्तककार- #मिथिलेश_राय

मुक्तक

March 11, 2019 in मुक्तक

तेरा तसव्वुर मुझे जुनून देता है।
तेरे सिवा कुछ नहीं सुकून देता है।
रातों को जगाती है तेरी तमन्ना-
तेरा हुस्न दिल को मज़मून देता है।

मुक्तककार- #मिथिलेश_राय

मुक्तक

March 4, 2019 in मुक्तक

तेरे सिवा नज़र में कोई तस्वीर नहीं है।
तेरे सिवा ख़्याल की कोई जागीर नहीं है।
चाहत के हर पन्ने पर परछाई है तेरी-
तेरे सिवा ख्व़ाब की कोई ताबीर नहीं है।

मुक्तककार- #मिथिलेश_राय

मुक्तक

February 1, 2019 in मुक्तक

होते ही सुबह तेरी तस्वीर से मिलता हूँ।
अपनी तमन्नाओं की ज़ागीर से मिलता हूँ।
नज़रों को घेर लेता है यादों का समन्दर-
चाहत की लिपटी हुई जंजीर से मिलता हूँ।

मुक्तककार- #मिथिलेश_राय

मुक्तक

January 28, 2019 in मुक्तक

आज फ़िर हाथों में जाम लिए बैठा हूँ।
तेरे दर्द का पैगाम लिए बैठा हूँ।
वस्ल की निगाहों में ठहरी हैं यादें-
आज फ़िर फुरक़त की शाम लिए बैठा हूँ।

मुक्तककार- #मिथिलेश_राय

मुक्तक

January 21, 2019 in मुक्तक

मैं जब कभी तेरी तस्वीर देख लेता हूँ।
मैं अपने ख़्यालों की तक़दीर देख लेता हूँ।
ख़्वाबों के समन्दर में उठती है चिंगारी-
मैं तेरी अदाओं का तीर देख लेता हूँ।

मुक्तककार- #मिथिलेश_राय

मुक्तक

January 11, 2019 in मुक्तक

जुस्तज़ू क़ुरबत की फ़िर से बहक रही है।
तेरी बेरुख़ी से मगर उम्र थक रही है।
रात है ठहरी सी तेरे इंतज़ार में-
तिश्नगी आँखों में फ़िर से चहक रही है।

मुक्तककार- #मिथिलेश_राय

मुक्तक

December 20, 2018 in मुक्तक

मेरी नज़र के सामने साक़ी को रहने दो।
हाथों में जाम है मगर बाक़ी को रहने दो।
धधक रही हैं तस्वीरें यादों की दिल में-
चाहत की ज़ेहन में झांकी को रहने दो।

मुक्तककार- #मिथिलेश_राय

मुक्तक

December 3, 2018 in मुक्तक

तेरे बग़ैर तन्हा रहने लगा हूँ मैं।
तेरी बेवफ़ाई को सहने लगा हूँ मैं।
जब भी ग़म तड़पाता है मेरे ख़्यालों को-
अश्क़ बनकर पलकों से बहने लगा हूँ मैं।

मुक्तककार- #मिथिलेश_राय

मुक्तक

November 15, 2018 in मुक्तक

मैं तेरे बग़ैर तेरी तस्वीरों का क्या करूँ?
मैं तड़पाती यादों की जागीरों का क्या करूँ?
मैं अश्कों को पलकों में रोक सकता हूँ लेकिन-
मैं दर्द की लिपटी हुई जंजीरों का क्या करूँ?

मुक्तककार- #मिथिलेश_राय

मुक्तक

October 20, 2018 in मुक्तक

मेरे दर्द को तेरा अफ़साना याद है।
मेरे ज़ख्म को तेरा ठुकराना याद है।
लबों को खींच लेती है पैमाने की तलब-
हर शाम साक़ी को मेरा आना याद है।

मुक्तककार- #मिथिलेश_राय

मुक्तक

September 25, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

मैं अधूरा सा हूँ तेरे नाम के बग़ैर।
यादों की तड़पाती हुई शाम के बग़ैर।
मैं देखकर ज़िन्दा हूँ तेरी तस्वीरें-
आँखें भी सोती नहीं हैं जाम के बग़ैर।

मुक्तककार- #मिथिलेश_राय

मुक्तक

September 12, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

तेरी गली से आज फ़िर होकर गुज़रा हूँ।
तेरी गली से आज फ़िर रोकर गुज़रा हूँ।
आवाज़ दे रही थी मुझे तेरी तिश्नगी-
तेरी गली से दर्द को छूकर गुज़रा हूँ।

मुक्तककार- #मिथिलेश_राय

मुक्तक

August 25, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

तेरी आरज़ू से मुँह मोड़ नहीं पाता हूँ।
तेरी तमन्नाओं को छोड़ नहीं पाता हूँ।
यादों में ढूंढ़ लेता हूँ तेरी तस्वीरें-
तेरे प्यार से रिश्ता तोड़ नहीं पाता हूँ।

मुक्तककार- #मिथिलेश_राय

मुक्तक

August 25, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

तेरी आरज़ू से मुँह मोड़ नहीं पाता हूँ।
तेरी तमन्नाओं को छोड़ नहीं पाता हूँ।
यादों में ढूंढ़ लेता हूँ तेरी तस्वीरें-
तेरे प्यार से रिश्ता तोड़ नहीं पाता हूँ।

मुक्तककार- #मिथिलेश_राय

मुक्तक

August 24, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

कभी तो किसी शाम को घर चले आओ।
कभी तो ग़मों से बेख़बर चले आओ।
हर रात बीत जाती है मयखाने में-
कभी तो रास्ते से मुड़कर चले आओ।

मुक्तककार- #मिथिलेश_राय

मुक्तक

August 12, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

काश तेरी उल्फ़त की हर बात भूल जाऊँ।
काश तेरी कुर्बत की हर रात भूल जाऊँ।
भूल जाऊँ दिल से कभी तेरे सितम को-
काश तेरे ज़ख्मों की सौग़ात भूल जाऊँ।

मुक्तककार- #मिथिलेश_राय

मुक्तक

August 11, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

तेरा नाम कागज़ पर बार-बार लिखता हूँ।
तेरे प्यार को दिल में बेशुमार लिखता हूँ।
टूटेगा न सिलसिला तेरी तमन्नाओं का-
तेरे ख़्यालों पर गमें-इंतज़ार लिखता हूँ।

मुक्तककार- #मिथिलेश_राय

मुक्तक

August 8, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

मैं तेरी गुफ्तगूं की राह ढूंढ़ता रहता हूँ।
मैं तेरी ज़ुल्फ़ों की पनाह ढूंढ़ता रहता हूँ।
जब भी नज़र में आती हैं तस्वीरें यादों की-
मैं अपनी मयकदों में आह ढूंढ़ता रहता हूँ।

मुक्तककार- #मिथिलेश_राय

मुक्तक

August 4, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

तेरा ख़्याल ख़ुद को समझाने का रास्ता है।
तेरी याद दिल को बहलाने का रास्ता है।
जब जाग जाती है लबों पर तेरी तिश्नगी-
हर शाम मयखानों में जाने का रास्ता है।

मुक्तककार- #मिथिलेश_राय

मुक्तक

August 1, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

मैं ख़ुद की तरह ज़ीने का जुनून रखता हूँ।
मैं दिल में अरमानों का मज़मून रखता हूँ।
हौसला क़ायम है अभी दर्द को सहने का-
मैं ख़ुद में तूफ़ानों को मक़नून रखता हूँ।

मुक्तककार- #मिथिलेश_राय

मुक्तक

July 29, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

जबसे ज़िन्दग़ी में आप मिल गये हैं।
रास्ते मंज़िल के फ़िर से खिल गये हैं।
जागे हुए पल हैं ख़्वाबों के नज़र में-
ज़ख्म भी जिग़र के जैसे सिल गये हैं।

मुक्तककार- #मिथिलेश_राय

मुक्तक

July 29, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

जबसे ज़िन्दग़ी में आप मिल गये हैं।
रास्ते मंज़िल के फ़िर से खिल गये हैं।
जागे हुए पल हैं ख़्वाबों के नज़र में-
ज़ख्म भी जिग़र के जैसे सिल गये हैं।

मुक्तककार- #मिथिलेश_राय

मुक्तक

July 25, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

ग़मों को दिल में छुपाना आसान नहीं है।
शमा यादों की बुझाना आसान नहीं है।
जब भी छूट जाता है हमसफ़र राहों में-
अकेले लौट कर आना आसान नहीं है।

मुक्तककार- #मिथिलेश_राय

मुक्तक

July 23, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

मैं हार कर भी तेरी कहानी की तरह हूँ।
मैं हार कर भी तेरी निशानी की तरह हूँ।
मैं ठोकरें खाता रहा हूँ उम्र भर लेकिन-
मैं जोशे-ज़िन्दग़ी में ज़वानी की तरह हूँ।

मुक्तककार- #मिथिलेश_राय

मुक्तक

July 21, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

क्यों तुम शमा-ए-चाहत को बुझाकर चले गये?
क्यों तुम मेरी ज़िन्दग़ी में आकर चले गये?
हर ग़म को जब तेरे लिए सहता रहा हूँ मैं-
क्यों तुम मेरे प्यार को ठुकराकर चले गये?

मुक्तककार- #मिथिलेश_राय

मुक्तक

July 19, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

मैं अपनी तमन्नाओं पर नकाब रखता हूँ।
मैं करवटों में चाहत की किताब रखता हूँ।
जब भी क़रीब होती हैं यादें ज़िन्दग़ी की-
मैं दर्द तन्हाई का बेहिसाब रखता हूँ।

मुक्तककार- #मिथिलेश_राय

मुक्तक

July 16, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

आज भी तेरी जिग़र में आरज़ू जवां है।
आज भी निगाह में ख्व़ाबों का कारवां है।
उल्फ़त के समन्दर में तूफ़ान हैं लेकिन-
मुसीबत में ठहरने का हौसला रवां है।

मुक्तककार- #मिथिलेश_राय

मुक्तक

July 11, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

हम तेरी याद में रो भी लेते हैं।
हम तन्हा गमज़दा हो भी लेते हैं।
जब रंग सताता है तेरे हुस्न का-
हम खुद को नशे में खो भी लेते हैं।

रचनाकार- #मिथिलेश_राय

मुक्तक

July 6, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

अभी तेरी आरज़ू का ग़ुबार है दिल में।
अभी तेरी यादों का संसार है दिल में।
ख़ौफ भी रुसवाई का मौजूद है लेकिन-
अभी तेरे ख़्यालों का बाज़ार है दिल में।

मुक्तककार – #मिथिलेश_राय

मुक्तक

June 21, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

अपनी यादों को मिटाना बहुत कठिन है।
अपने गम को भूल जाना बहुत कठिन है।
जब राहे-मयखानों पर चलते हैं कदम,
होश में लौट कर आना बहुत कठिन है।

मुक्तककार- #मिथिलेश_राय

मुक्तक

June 21, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

अपनी यादों को मिटाना बहुत कठिन है।
अपने गम को भूल जाना बहुत कठिन है।
जब राहे-मयखानों पर चलते हैं कदम,
होश में लौट कर आना बहुत कठिन है।

मुक्तककार- #मिथिलेश_राय

मुक्तक

June 19, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

कहीं तेरी बेवफाई से मैं बदल न जाऊँ?
कहीं इंतजार की ज्वाला से मैं जल न जाऊँ?
मुझे दर्द सताता है हर वक्त तन्हाई में,
कहीं सब्र के चट्टानों से मैं फिसल न जाऊँ?

मुक्तककार- #मिथिलेश_राय

मुक्तक

June 17, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

तेरी दिल में ख्वाहिश आयी है अभी अभी!
चाहत की फरमाइश आयी है अभी अभी!
गूंज उठी है शहनाई यादों की लेकिन,
फिर गम की पैदाइश आयी है अभी अभी!

मुक्तककार- #मिथिलेश_राय

मुक्तक

June 16, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

फसाना जिंदगी का अजीब जैसा है!
हर ख्वाब आदमी का रकीब जैसा है!
बदली हुई निगाहों का खौफ है दिल में,
मंजिलों का मिलना तरकीब जैसा है!

मुक्तककार -#मिथिलेश_राय

मुक्तक

June 15, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

मंजिलों के रास्ते कुछ बोल रहे हैं!
रंग दिल में चाहत का घोल रहे हैं!
तिश्नगी ल़बों पर है पैमानों की,
क़दम जुस्तजू के कुछ डोल रहे हैं!

मुक्तककार- #मिथिलेश_राय

मुक्तक

June 15, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

तुमसे अपने प्यार को कहना मुश्किल है!
तेरे बगैर लेकिन रहना मुश्किल है!
तुमको कभी गैर की बाँहों में देखकर,
तेरी बेवफाई को सहना मुश्किल है!

मुक्तककार- #मिथिलेश_राय

मुक्तक

June 13, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

तेरी नजर हाल-ए-दिल बयान कर देती है!
तेरी नजर चाहत का ऐलान कर देती है!
ख़्वाहिशें बंध जाती हैं साँसों की डोर से,
तेरी याद रातों को वीरान कर देती है!

मुक्तककार- #मिथिलेश_राय

मुक्तक

June 12, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

दिन गुजर जाएगा मगर रात जब होगी!
तेरे ख्यालों से मुलाकात तब होगी!
कबतलक सुनता रहूँ गमों की सिसकियाँ?
तुमसे रूबरू दिल की बात कब होगी?

मुक्तककार- #मिथिलेश_राय

मुक्तक

June 11, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

मुझे तेरी आरजू में जुदाई मिल गयी है!
मुझे तेरी चाहत में तन्हाई मिल गयी है!
गमगीन हो गयी है मेरी हाल-ए-जिंदगी,
मुझे राहे-वफा में रुसवाई मिल गयी है!

मुक्तककार- #मिथिलेश_राय

मुक्तक

June 9, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

तेरी जुस्तजू का आना कबतक रहेगा?
तेरा यूँ दिल में ठिकाना कबतक रहेगा?
जाम के नशे में खुद को भूला हूँ लेकिन,
सामने हरदम पैमाना कबतक रहेगा?

मुक्तककार- #मिथिलेश_राय

मुक्तक

June 8, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

तुम मेरी जिंदगी में बेहद बेशुमार हो!
तुम मेरे तसव्वुर में आते बार–बार हो!
मुश्किल बहुत है रोकना तेरे सूरूर को,
तुम मेरी नज़र में ठहरा हुआ खुमार हो!

मुक्तककार- #मिथिलेश_राय

मुक्तक

June 8, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

तुम मेरी जिंदगी में बेहद बेशुमार हो!
तुम मेरे तसव्वुर में आते बार–बार हो!
मुश्किल बहुत है रोकना तेरे सूरूर को,
तुम मेरी नज़र में ठहरा हुआ खुमार हो!

मुक्तककार- #मिथिलेश_राय

मुक्तक

June 6, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

वक्ते-सितम से रिश्ते टूट जाते हैं!
राहे-वफा में रहबर छूट जाते हैं!
दूरियाँ हो जाती हैं जिनसे दिलों की,
बेरहम बनकर हमसे रूठ जाते हैं!

मुक्तककार- #मिथिलेश_राय

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