Mithilesh Rai
मुक्तक
June 3, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता
तुम खुद को किसी की याद में क्यों खोते हो?
तुम जिंदगी को अश्कों से क्यों भिगोते हो?
आती हुई बहारों को न रोको दर्द से,
तुम हर घड़ी तन्हाई में क्यों रोते हो?
मुक्तककार- #मिथिलेश_राय
मुक्तक
June 2, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता
वो दर्द वो खामोशी का मंजर नहीं बदला!
तेरी अदा-ए-हुस्न का खंजर नहीं बदला!
शामों-सहर चुभते रहते हैं तीर यादों के,
मेरी तन्हाई का वो समन्दर नहीं बदला!
मुक्तककार- #मिथिलेश_राय
मुक्तक
June 2, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता
वो दर्द वो खामोशी का मंजर नहीं बदला!
तेरी अदा-ए-हुस्न का खंजर नहीं बदला!
शामों-सहर चुभते रहते हैं तीर यादों के,
मेरी तन्हाई का वो समन्दर नहीं बदला!
मुक्तककार- #मिथिलेश_राय