बलिदान

August 15, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

लाल लाल है रक्त उनका
लाल लाल मैदान है
याद रखना देशवासी
जिसने दिया बलिदान है

स्वार्थ नहीं था कुछ इनका
ना ही कुछ अरमान थे
भारत माता ,भारतवासी
इन पर ये कुर्बान थे

थे साहसी वीर बाँकुरे
भारत का अभिमान है
याद रखना देशवासी
जिसने दिया बलिदान है

–विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)–

प्रगति

July 31, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

मत डरो विपदाओं से
समझो प्रभु का वास है
विपत्ति में भी दिया है देखो
प्रगति का पावन राज है

शयम

July 31, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

बरस रहा है पतझड़ हम पर
टूट रहे हैं पल्लव
आजाओ अब शीघ्र श्याम
बनकर तुम बहार नव

सांसारिक सुख

July 31, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

ये सांसारिक सुख मैं क्या रखा है
एक नज़र सेवा करके देखो

वतन

July 31, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

तू देश का अनमोल रतन है
बचा के रख इसे ये तेरा वतन है

अवतार

July 31, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

जब जब पड़ा धरा पर , दानवों का भार
तब तब आ गए तुम, लेकर ये अवतार
मिटा दिया भू से, तुमने अनाचार

त्याग

July 31, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

त्याग है एक सम्मान
रहे हमेशा इसका मान

सुख

July 31, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

वो मनुज ही सफल है
जिसने जीवन में सेवा सुख दिया है

जीवन एक परीक्षा है

July 31, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

जीवन एक परीक्षा है जिसमे
सेवा व धैर्य की साधना करनी होगी

देश

July 31, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

देश हमारा फले फूले
सजा रहे ये संसार
वक़्त है अभी बचा लो इसे
खो जाये ये कहीं

प्रकृति

July 31, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

घिरी हैं प्रकृति में,
आनंद की घटाएं ,
हृदयस्पर्शी हैं,
यहाँ की हवाएं,
जी करता है ,
इन्ही में समां जाएं

ये धरा

July 31, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

गगनचुम्बी चोटियां ,
ये नीला अम्बर है,
हिमालय नभ मिल हुए,
खेत श्याम रंग है,
हिमालय का सौंदर्य ,
अति अनुपम है

ईश्वर

July 31, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

ईश्वर ने किया प्रकृति का श्रृंगार
उसने दिया हमें ये अनमोल उपहार

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

मनुजता

July 31, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

ऐ मनुज जिस दिवस , मनुजतत्व पाओगे
स्वयं को पा लोगे , जग को अपनत्व दे जाओगे

खो न जाना

July 31, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

आधुनिक है ये दुनिया
खो न जाना तू इसमें
माता पिता एक मोती हैं
खो न देना एक पल में

सतपथ

July 31, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

जाग नर कीमती है तेरा,
छन छन तेरा
चल पड़ा सतपथ पर अब,
रुकना नहीं है काम तेरा

विलक्षण

July 31, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

विलक्षण हैं उसके नियम,
नहीं पता नीति उसकी क्या है
आये हैं हम कहाँ से,
जाना हमें कहाँ है

मानव

July 31, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

मानव तू आया है जिस हेतु जग में
बांध ले तू प्रेम दया का,सेतु जग में

मृत्यु

July 31, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

मृत्युपथ पर जा रहा, वर्षा दो अमियासुधा
रख कर निज नरेतित्व में , माँ रक्षा करो रक्षा करो

उत्साह

July 31, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

मैं निरुत्साहित हूँ,
उत्साह बनकर आओ
मैं असमर्थ,
समर्थ बनकर आओ

सबका ज़िक्र है

July 31, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

वो है तेरे साथ ओ बन्दे,
फिर किसकी फ़िक्र है
जनता है वो तुझे
उसपे सबका ज़िक्र है

लक्ष्य

July 31, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

हो अटल तेरा लक्ष्य
की कभी न डगमगा सके

राहें

July 31, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

सुलगती हुई राहों में ,मेधवान बरसा करो
प्रनतपालिनी माता तुम, रक्षा करो रक्षा करो

प्यार का मोह है

July 31, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

प्यार का मोह है इस दुनिया में
अर्थ न कोई जनता
माता पिता को छोड़ दिया तूने,
मोह के पीछे भागता

आधुनिक है ये दुनिया

July 31, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

आधुनिक है ये दुनिया
खो न जाना तू इसमें
माता पिता एक मोती हैं
खो न देना एक पल में

सच्ची सीख

July 31, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

पतितों का उत्थान हो माँ , सत्मार्ग दिखा,
देकर सद्बुद्धि माँ , सच्चाई की रीत सीखा

गरीब भूका सो रहा

July 31, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

गरीब भूका सो रहा,
अमीर भी है रो रहा
तो फिर सच्चा सुख कहाँ
वो है हरी चरणों में

अज्ञानी

July 31, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

मैं अज्ञानी आत्मा हूँ,
मुझको लख्या देदो
एक सहारा है तुम्हारा
एक बार दरस देदो

परिवर्तन

July 31, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

कर दे परिवर्तन, ऐ तांडव निरतन
न हो अब क्रांति, शांति शांति बस शांति

संभल

July 31, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

देखो निर्मित हो रही हैं
अवगुणो की ये सुरंग
संभल जा ऐ मानव
यही है वक़्त

अवगुण

July 31, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

देखो निर्मित हो रही है, अवगुणो की ये सुरंग
वैभव में मैं रम गया, माया का छह है रंग

कल्पनाएं

July 31, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

संग्राम मय जीवन में आएं बहुत विपदाएं
परोपकर के लिए हो मेरी
हर एक कल्पनाएं

नीराधा जीवन

July 31, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

निराधा इस जीवन को, आज तुम आधा दे दो
इस हृदय के मरुपथ को, आज शीतल धरा दे दो

ये जीवन

July 31, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

एक भरोसा तेरा है,
भूल न जाना सांवरिया
देर करो न तुम हरी
ये जीवन अकेला है

कांटें भी फूल

July 31, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

साथ जो मेरे तुम हो हरी,
तो कांटें भी फूल बनें

परोपकार

July 31, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

परोपकार के लिए हो,
अब मेरी कल्पनाएं
व्यर्थ ही भटक रहे,
चरणों में अब दो विश्राम

सीप

July 31, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

त्रिलोक का अलोक जो,
तुम वो महादीप हो
संसार के सागर में,
तुम ही एक सीप हो

हर्ष

July 31, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

ऐ हिमालय ऐ धरा , यूहीं मुस्कुराते रहें
न हो क्रंदन स्वर, सभी उर हर्षाते रहें
बस छह इतनी , देशहित शहीद होते रहें

हर्ष

July 31, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

ऐ हिमालय ऐ धरा , यूहीं मुस्कुराते रहें
न हो क्रंदन स्वर, सभी उर हर्षाते रहें
बस छह इतनी , देशहित शहीद होते रहें

भटक रहा हूँ

July 31, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

आँधियों से लड़ने में,
मैं तो रहा असमर्थ
लक्ष्य मिला नहीं मुझे,
भटक रहा हूँ व्यर्थ

समर्थ

July 31, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

हे समर्थ संग चलो,
पथ में तुम न छोडो
बनकर डीप चलो,
तिमिर में न छोडो

माया

July 31, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

अब तो अलोक दो , मनुजता दुखित हो रही
मदमोहमाया से मेरी माँ, रक्षा करो, रक्षा करो

माटी

July 31, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

माटी की ये जीर्ण काया,
उस पर ग्रसित मोह माया

माया

July 31, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

अब तो अलोक दो , मनुजता दुखित हो रही
मदमोहमाया से मेरी माँ, रक्षा करो, रक्षा करो

पूर्ण है विश्वास

July 31, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

पूर्ण है विश्वास मुझे,
इस दिवस तुम आओगे

माँ

July 31, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

पथ दिखाके,लक्ष्य दिखती’
है पथ प्रदर्शक माँ

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

जीवन के ये रस्ते

July 31, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

काँटों से भरे हुए है,
जीवन के ये रस्ते,
घाव मिलते पग पग पर
लक्ष्य से हैं भागते

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

सांझ दिवस

July 31, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

सांझ दिवस और रैन में,
बीएस तुमको ही पुकारा है

सृष्टि के कण कण में,
तुमको ही पुकारा है

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

वीर सपूत

July 31, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

सत्य और आदर्श से,
कालिमा चीर दो

बाद चलो वीर सपूत,
धरती के तुम वीर हो

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

मति

July 31, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

लाख मिले जो तुम्हे प्रलोभन,
हो स्थिर मन,स्थिर मति तेरी

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